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Pauranik Kathayen: जानें हनुमान जी ने क्यों लिया था पंचमुखी अवतार, पढ़ें यह पौराणिक कथा

Pauranik Kathayen जागरण अध्यात्म के इस लेख में हम आपके लिए हनुमान जी की पंचमुखी रूप की पौराणिक कथा लाए हैं। आइए पढ़ते हैं यह कथा।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Tue, 22 Sep 2020 08:00 AM (IST)Updated: Tue, 22 Sep 2020 08:00 AM (IST)
Pauranik Kathayen: जानें हनुमान जी ने क्यों लिया था पंचमुखी अवतार, पढ़ें यह पौराणिक कथा

Pauranik Kathayen: हम सभी ने कई बार हनुमान जी के पंचमुखी रूप के दर्श किए होंगे। हनुमान जी के इस रूप की भी अत्याधिक मान्यता है। लेकिन क्या आप में से किसी को यह पता है कि हनुमान जी के इन 5 मुखों के पीछे क्या राज छिपा है। अगर नहीं, तो जागरण अध्यात्म के इस लेख में हम आपके लिए हनुमान जी की पंचमुखी रूप की पौराणिक कथा लाए हैं। आइए पढ़ते हैं यह कथा।

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राम और रावण की सेना के बीच बेहद भयंकर युद्ध चल रहा था। यह वो समय था जब रावण अपनी हार के करीब था। खुद को पराजित होता देख रावण ने अपने मायावी भाई अहिरावण को याद किया। अहिरावण मां भवानी का परम भक्त था। साथ ही तंत्र-मंत्र का का बड़ा ज्ञाता भी था। अहिरावण ने अपनी माया का उपयोग किया और राम जी की पूरी सेना को निद्रा में डाल दिया। वहीं, राम-लक्ष्मण को अपहरण कर पाताल लोक ले गया। जब उसकी माया का प्रभाव कुछ देर बाद कम हुआ तो विभिषण को यह ज्ञात हो गया कि यह काम अहिरावण का है। विभिषण ने हनुमान जी से कहा कि वो पाताल लोक जाएं और श्री राम और लक्ष्मण की सहायता करें।

जब हनुमान जी पाताल लोक पहुंचे तो उन्हें उनका पुत्र मकरध्वज मिला। उन्होंने अपने बेटे से युद्ध किया और उसे हरा दिया। फिर वो श्री राम और लक्ष्मण से मिले। हनुमान जी को वहां पांच दीपक मिले जिसे अहिरावण ने मां भवानी के लिए पांच दिशाओं में जलाया था। अगर इन पाचों दीपकों को एक साथ बुझाया जाता तो अहिरावण का वध हो जाता। यही कारण था कि हनुमान जी ने पंचमुखी रूप धरा। पंचमुखी रूप धारण कर उन्होंने उत्तर दिशा में वराह मुख, दक्षिण दिशा में नरसिंह मुख, पश्चिम में गरुड़ मुख, आकाश की तरफ हयग्रीव मुख एवं पूर्व दिशा में हनुमान मुख से सभी दीपक एक साथ बुझा दिए। फिर हनुमान जी ने अहिरावण का वध किया और श्री राम और लक्ष्मण को मुक्त किया।


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