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    Pauranik Kathayen: हनुमान जी का सूर्यदेव की पुत्री से हुआ था विवाह, पढ़ें उनके विवाह की यह कथा

    Pauranik Kathayen हनुमान जी को ब्रह्मचारी कहा गया है। उनका विवाह नहीं हुआ था। लेकिन ऐसा नहीं है। कई जगहों पर यह कहा गया है कि हनुमान जी विवाहित थे। इसके पीछे कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं जिनमें से एक हम आपको यहां बता रहे हैं।

    By Shilpa SrivastavaEdited By: Updated: Tue, 02 Feb 2021 10:00 AM (IST)
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    Pauranik Kathayen: हनुमान जी का सूर्यदेव की पुत्री से हुआ था विवाह, पढ़ें उनके विवाह की यह कथा

    Pauranik Kathayen: हनुमान जी को ब्रह्मचारी कहा गया है। उनका विवाह नहीं हुआ था। लेकिन ऐसा नहीं है। कई जगहों पर यह कहा गया है कि हनुमान जी विवाहित थे। इनका एक पुत्र भी था। लेकिन विवाह होने के बाद और पिता बनने के बाद हनुमान जी ब्रह्मचारी ही माने जाते हैं। इसके पीछे कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं जिनमें से एक हम आपको यहां बता रहे हैं।

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    कथाओं के अनुसार, हनुमान जी जब अपने गुरु सूर्यदेव से शिक्षा प्राप्त कर रहे थे तब एक समय उनकी आखिरी शिक्षा बची थी। लेकिन यह शिक्षा ऐसी थी कि ये अविवाहित व्यक्ति को नहीं दी जा सकती थी। लेकिन हनुमान जी तो ब्रह्मचारी रहने का प्रण ले चुके थे। ऐसे में उनके सामने अजीब-सी दुविधा उत्पन्न हो गई कि अब वो क्या करें। उन्हें परेशान देख सूर्य देव ने हनुमान जी से कहा कि तुम मेरी पुत्री सुवर्चला से विवाह कर लो। हनुमान जी मान गए और उनसे विवाह कर लिया।

    पराशर संहिता में बताया गया है कि हनुमान जी आजीवन ब्रह्मचारी रहना चाहते थे जिसका प्रण वो ले भी चुके थे। ऐसे में उनके विवाह के बाद उनकी पत्नी विवाह के उपरान्त तपस्या के लिए चली गईं। इस तरह से हनुमान जी ने विवाह की शर्त भी पूरी की और गृहस्थ जीवन में भी नहीं रहे। इससे उन्हें उनकी आखिरी शिक्षा भी मिल गई।

    उनके पुत्र को लेकर वाल्मीकि रामायण में कहा गया है कि जब हनुमान जी लंका दहन के लिए गए थे तब लंका नगरी से उठने वाली ज्वाला की आंच इतनी तेज थी उन्हें पसीना आने लगा। उनकी पूंछ में आग लग गई थी। वो उसे बुझाने के लिए समुद्र में पहुंचे। उनके शरीर से टपकी पसीने की बूंद को एक मछली पी गई। इससे वह गर्भवती हुई और वानर रूपी मानव का जन्म दिया। इस बालक को अहिरावण ने पाताल लोक का द्वारपाल बना दिया था।

    यह मंदिर है विवाह का गवाह!

    आंध्रप्रदेश के हनुमान जी का एक मंदिर है जहां उनकी पत्नी के साथ उनकी मूर्ति स्थापित है। यह प्राचीन मंदिर खम्मम जिले में है। हनुमान जी के विवाह का गवाह यह इकलौता मंदिर माना जाता है। 

    डिसक्लेमर

    'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'