Pauranik Katha: ब्रह्मा जी के हुआ करते थे 5 सिर, इस गलती के कारण रह गए केवल चार
आपने ब्रह्मा जी के चार मुख के बारे में तो ही सुना होगा लेकिन क्या आपको पता है कि ब्रह्मा जी के पांच सिर हुआ करते थे। इसके पीछे एक पौराणिक कथा मिलती है। चलिए जानते हैं कि आखिर किस कारण ब्रह्मा जी के केवल 4 ही सिर रह गए।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धार्मिक ग्रंथों में ऐसी कई पौराणिक कथाएं मिलती हैं, जो कुछ-न-कुछ सीख देने के साथ ही आपको हैरान भी कर देती हैं। आज हम आपको ब्रह्मा जी से जुड़ी एक पौराणिक कथा बताने जा रहे हैं।
जैसा कि आप जानते ही होंगे, कि ब्रह्म जी त्रिदेवों में शामिल हैं। लेकिन उनकी पूजा-अर्चना का प्रचलन इतना अधिक नहीं है, जिस प्रकार भगवान शिव और भगवान विष्णु की होती है। चलिए जानते हैं इसका कारण।
क्या है पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, ब्रह्मा जी को पूरे संसार की रचना का काम सौंपा गया। जब वह संसार की रचना कर रहे थे, तो उन्होंने एक अति सुंदर स्त्री की भी रचना की, जिसे शतरूपा नाम दिया। वह इतनी ज्यादा सुंदर थी कि स्वयं ब्रह्मा जी भी उस पर मोहित हो गए और उस पर से अपनी नजरें नहीं हटा पाए।
ब्रह्मा जी के इस प्रकार शतरूपा को टकटकी बांध कर निहारने रहने से वह विचलित हो गई। शतरूपा ने ब्रह्मा की दृष्टि से बचने के लिए हर संभव कोशिश की, लेकिन वह सफल न हो सकी।
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शिव जी को आया क्रोध
ये सारा दृश्य शिव जी भी देख रहे थे और वह ब्रह्मा जी पर बहुत क्रोधित हुए। क्योंकि सतरूपा ब्रह्मा की पुत्री समान थी। इसलिए उन्हें ब्रह्मा जी का सतरूपा को इस प्रकार टकटकी लगाकर देखना घोर अपराध लगा। भगवान शिव ने अपने एक गण भगवान भैरव को प्रकट किया और शिव जी के आदेश पर भैरव ने ब्रह्मा जी का पांचवा सिर काट दिया।
इसके बाद ब्रह्मा जी को अपनी गलती का अनुभव हुआ और वह महादेव से क्षमा याचना करने लगे। माना जाता है कि इसी कारण से त्रिदेवों में मौजूद भगवान शिव और प्रभु श्रीहरि की तरह ब्रह्मा की पूजा नहीं की जाती। इसी के परिणाम स्वरूप पूरे भारत में केवल एक ब्रह्मा जी का मंदिर स्थित है, जो राजस्थान के पुष्कर में है।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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