Parama Ekadashi 2023: परमा एकादशी पर भूलकर भी ना करें ये गलतियां, पड़ सकता है व्रत पर नकारात्मक प्रभाव
Parama Ekadashi 2023 पुरुषोत्तम मास में पड़ने वाली एकादशी तिथि के दिन परमा एकादशी व्रत रखा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस विशेष दिन पर पूजा-पाठ और स्नान-दान करने से साधकों को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन में आ रही कई प्रकार की समस्याएं दूर हो जाती है। बता दें कि परमा एकादशी के दिन कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना बहुत ही आवश्यक है।

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क । Parama Ekadashi 2023: प्रत्येक माह की एकादशी तिथि के दिन मासिक एकादशी व्रत रखा जाता है। हिन्दू धर्म में इस व्रत का विशेष महत्व है। वहीं पुरुषोत्तम मास में पड़ने वाले एकादशी तिथि के दिन परमा एकादशी व्रत रखा जाता है। मानयता है कि इस दिन भगवान विष्णु की उपासना करने से साधकों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है और उन्हें अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
हिन्दू पंचांग के अनुसार, परमा एकादशी व्रत श्रावान अधिकमास के कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन रखा जाता है। यह व्रत तीन साल में एक बार रखा जाता है। इस वर्ष परमा एकादशी व्रत 12 अगस्त 2023, शनिवार के दिन रखा जाएगा। बता दें कि इस दिन साधकों को कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए और व्रत के समय नियमों का पालन करना चाहिए।
परमा एकादशी के दिन भूलकर भी ना करें ये काम (Parama Ekadashi 2023 Don'ts)
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परमा एकादशी के दिन साधक को पूजा-पाठ और दान करना चाहिए। इस दिन सुबह जल्दी उठकर पूजा-पाठ करें और दोपहर के समय नींद ना लें। एकादशी के दिन दोपहर के समय सोना निषेध है।
एकादशी तिथि के काले रंग का वस्त्र अनजाने में भी धारण न करें। यह रंग नकारात्मकता का प्रतीक है। साथ ही इससे देवी-देवता नाराज हो जाते हैं और व्रत का फल प्राप्त नहीं होता है।
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जो लोग एकादशी व्रत क पालन कर रहे हैं, उन्हें किसी अन्य व्यक्ति के घर का जल, फल या अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए। इससे व्रत नष्ट हो जाता है। ऐसा यदि करना पड़ जाए तो बदले में उन्हें कुछ दे दें। इससे व्रत पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
जो लोग व्रत का पालन नहीं कर सकते हैं, उन्हें भी इस दिन खान-पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इस दिन मांस-मदिरा का सेवन भूलकर भी ना करें और काम, क्रोध व ईर्ष्या भाव को त्याग दें।
परमा एकादशी पर करें ये काम (Do's)
परमा एकादशी के दिन किसी जरूरतमंद व्यक्ति को अन्न, धन या वस्त्र का दान जरूर करें। ऐसा करे से पुण्य के समान फल की प्राप्ति होती है। साथ ही इस विशेष गीता का पाठ करें और शाम के समय पीपल के वृक्ष के नीचे दीपक जलाएं। इन बातों का ध्यान रखने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है।
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