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    Papmochani Ekadashi 2024: पापमोचनी एकादशी पर रुद्राभिषेक के लिए बना है दुर्लभ योग, दूर होंगे सभी दुख और संताप

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Mon, 01 Apr 2024 05:18 PM (IST)

    एकादशी व्रत करने से व्यक्ति द्वारा जन्म-जन्मांतर में किए सभी पाप कट जाते हैं। इस साल 05 अप्रैल को पापमोचनी एकादशी है। यह पर्व हर वर्ष चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर मनाया जाता है। ज्योतिषियों की मानें तो पापमोचनी एकादशी पर कई शुभ संयोग बन रहे हैं। इन योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

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    Papmochani Ekadashi 2024: पापमोचनी एकादशी पर रुद्राभिषेक के लिए बना है दुर्लभ योग

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Papmochani Ekadashi 2024: सनातन धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु संग धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत भी रखा जाता है। धार्मिक मत है कि एकादशी व्रत करने से व्यक्ति द्वारा जन्म-जन्मांतर में किए सभी पाप कट जाते हैं। इस साल 05 अप्रैल को पापमोचनी एकादशी है। यह पर्व हर वर्ष चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर मनाया जाता है। ज्योतिषियों की मानें तो पापमोचनी एकादशी पर कई शुभ संयोग बन रहे हैं। इन योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही एकादशी तिथि पर रुद्राभिषेक हेतु दुर्लभ संयोग बन रहा है। इस योग में भगवान शिव का रुद्राभिषेक करने से घर में सुख और समृद्धि आती है। आइए, योग के बारे में जानते हैं-

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    शुभ मुहूर्त

    चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 04 अप्रैल को शाम 04 बजकर 14 मिनट पर शुरू होगी और 05 अप्रैल को दोपहर 01 बजकर 28 मिनट पर समाप्त होगी। साधक 06 अप्रैल को सुबह 08 बजकर 37 मिनट तक पारण कर सकते हैं।

    योग

    ज्योतिषियों की मानें तो पापमोचनी एकादशी तिथि पर सुबह 09 बजकर 56 मिनट तक साध्य योग का निर्माण हो रहा है। इसके पश्चात, शुभ योग का निर्माण हो रहा है। ज्योतिष दोनों योग को शुभ मानते हैं। इन योग में पूजा-पाठ करने से शुभ फल प्राप्त होता है। शिव पुराण में निहित है कि देवों के देव महादेव के कैलाश पर्वत पर विराजमान रहने के दौरान शिव जी का रुद्राभिषेक करना परम फलदायी होता है। पापमोचनी एकादशी के दिन भगवान शिव दोपहर 01 बजकर 28 मिनट तक कैलाश पर विराजमान रहेंगे। इस दौरान साधक भगवान शिव का रुद्राभिषेक कर सकते हैं। इस योग में भगवान शिव का अभिषेक करने से घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है।

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    डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/जयोतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेंगी।