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    Padmini Ekadashi 2023: पुरुषोत्तम मास में विशेष पद्मिनी एकादशी व्रत पर हो रहा है अत्यंत शुभ संयोग का निर्माण

    By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo Mishra
    Updated: Wed, 26 Jul 2023 11:34 AM (IST)

    Padmini Ekadashi 2023 18 जुलाई से पुरुषोत्तम मास या अधिक मास शुरू हो गया है। हिन्दू धर्म में इस महीने का विशेष महत्व है। बता दें कि अधिक मास में पद्मि ...और पढ़ें

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    Padmini Ekadashi 2023: कब रखा जाएगा सावन अधिक मास पद्मिनी एकादशी व्रत?

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क । Padmini Ekadashi 2023: हिंदू धर्म में पद्मिनी एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। बता दें कि यह व्रत हर 3 साल में एक बार पुरुषोत्तम मास या अधिक मास में रखा जाता है। इस व्रत को कमला एकदशी के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पद्मिनी एकदशी व्रत के दिन पूजा-पाठ और भगवान विष्णु की उपासना करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है। साथ ही जीवन में आ रही विविध प्रकार की परेशानियां समाप्त हो जाती है। आइए जानते हैं, कब रखा जाएगा पद्मिनी एकादशी व्रत, शुभ मुहूर्त और शुभ संयोग?

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    पद्मिनी एकादशी व्रत 2023 शुभ मुहूर्त

    हिंदू पंचांग के अनुसार, श्रावण अधिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 28 जुलाई दोपहर 02:51 बजे से शुरू होगी और इस तिथि का समापन 29 जुलाई को दोपहर 01:05 बजे तक होगा। बता दें कि श्रावण अधिक मास पद्मिनी एकादशी व्रत 29 जुलाई 2023, शनिवार के दिन रखा जाएगा। इस विशेष दिन पर दो अत्यंत शुभ संयोग के निर्माण हो रहा है, जिसमें पूजा पाठ का विशेष महत्व है।

    पद्मिनी एकादशी व्रत 2023 शुभ योग

    वैदिक पंचांग के अनुसार, पद्मिनी एकादशी व्रत के दिन दो अत्यंत शुभ योग के निर्माण हो रहा है। इस विशेष दिन पर ब्रह्म योग और इंद्र योग बन रहे हैं। बता दें कि सुबह 09:34 बजे तक ब्रह्म योग रहेगा और इसके बाद इंद्र योग शुरू हो जाएगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इन दोनों शुभ मुहूर्त में पूजा-पाठ एवं स्नान-दान करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है और देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

    पद्मिनी एकादशी व्रत महत्व

    तीन वर्षों में एक बार रखा जाने वाला पद्मिनी एकादशी व्रत का सनातन धर्म में विशेष महत्व है। मान्यता है कि विधि-विधान से पद्मिनी एकादशी व्रत रखने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और साधक को कठोर यज्ञ, तपस्या, व्रत इत्यादी के समान फल की प्राप्ति होती है। साथ ही विधि-विधान से इस व्रत को पूर्ण करने से भगवान श्रीहरि के चरणों में स्थान प्राप्त होता है।

    डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहे।