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नेपाल में है यह ज्‍योतिर्लिंग, हिंदुओं के लिए है प्रमुख तीर्थस्‍थल

भगवान श‍िव जी के 12 ज्योतिर्लिंगों में एक ज्‍योतिर्लिंग नेपाल में स्‍थ‍ित हैं। इसे पशुपतिनाथ मंदिर के नाम से भी जाना जाता हैं। आइए जानें हिंदुओं के इस प्रमुख तीर्थस्‍थल के बारे में...

By shweta.mishraEdited By: Published: Wed, 23 Aug 2017 03:44 PM (IST)Updated: Wed, 23 Aug 2017 03:47 PM (IST)
नेपाल में है यह ज्‍योतिर्लिंग, हिंदुओं के लिए है प्रमुख तीर्थस्‍थल
नेपाल में है यह ज्‍योतिर्लिंग, हिंदुओं के लिए है प्रमुख तीर्थस्‍थल

नेपाल की राजधानी काठमांडू में

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हि‍दूं धर्म में भगवान श‍िव जी के 12 ज्योतिर्लिंगों का दर्शन करना शुभ माना जाता है। कहते हैं श‍िव जी के ज्‍योति‍र्लिंग के दर्शन व आराधना से सारी मनोकामना पूरी होती है। ऐसे में एक ज्‍योतिर्लिंग भारत के पड़ोसी देश नेपाल की राजधानी काठमांडू में स्‍थि‍त है। इसे पशुपात‍ि नाथ मंद‍िर के नाम से भी जाना जाता है। यह हिंदुओं के लिए है प्रमुख तीर्थस्‍थलों में से एक हैं। 

तीसरी सदी ईसा पूर्व में न‍िर्माण

यह पशुपतिनाथ मंदिर काठमांडू से करीब तीन किलोमीटर दूर देवपाटन गांव में स्‍थ‍ित‍ है। बागमती नदी के तट पर स्थित भगवान शिव पशुपति के स्वरूप हैं। स्‍थानीय मान्यता के अनुसार पशुपतिनाथ काठमांडू घाटी के प्राचीन काल के शासकों के मुख्‍य देवताओं में से एक रहे हैं। इस मंदिर का निर्माण सोमदेव राजवंश के राजाओं ने तीसरी सदी ईसा पूर्व में करवाया था। 

बड़ी संख्‍या में आते हैं भक्‍त

करीब एक मीटर ऊंचे चबूतरे पर बने इस मंद‍िर का अध‍िकांश ह‍िस्‍सा लकड़ी का बना है। यहां पर हर साल देश-व‍िदेश से हजारों की संख्‍या श‍िव भक्‍त दर्शन करने पहुंचते हैं। स्‍थानीय भक्‍तों के बीच मान्‍यता है क‍ि इस ज्‍योतिर्लिंग में शि‍व जी की वि‍शेष कृपा देखने को म‍िलती हैं। इसका एक बड़ा उदाहरण यह है कि‍ नेपाल में आया भयानक भूकंप भी इस मंदिर को नहीं हिला पाया था। 

श‍िव ने चिंकारे का रूप धरा

क‍िंवदंत‍ियों के मुताब‍िक एक बार श‍िव जी वाराणसी के देवताओं को छोड़कर बागमती नदी के किनारे चले गए। यहां पर नदी के एक क‍िनारे पर भयानक जंगल में भगवान श‍िव जी ने चिंकारे का रूप धारण क‍िया और घोर निद्रा में चले गए। वहीं जब इन्‍हें ढूंढते हुए सारे देवता वहां पहुंचे तो श‍िव जी ने नदी में छलांग लगा दी थी। इसके बाद उनकी सींग के चार टुकड़ों में भगवान पशुपति चतुर्मुख लिंग के रूप में प्रकट हो गए थे। 


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