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    Navratri Katha: नवरात्रि की कथा, क्यों मनाएं जाते हैं नौ दिन के नवरात्रि

    By Shilpa SrivastavaEdited By:
    Updated: Sat, 17 Oct 2020 03:40 PM (IST)

    Navratri Katha नवरात्र के पीछे कई कथाएं प्रचलित हैं पर निम्न दो कथाएं सर्वाधिक तार्किक एवं प्रचलित हैं। पहली कथा है- ब्रह्माजी ने श्रीराम से रावण का वध करने के लिए चण्डी देवी की उपासना कर उन्हें प्रसन्न करने के लिए कहा था।

    नवरात्रि की कथा, क्यों मनाये जाते हैं नौ दिन के नवरात्रि

    Navratri Katha: नवरात्र के पीछे कई कथाएं प्रचलित हैं, पर निम्न दो कथाएं सर्वाधिक तार्किक एवं प्रचलित हैं। पहली कथा है- ब्रह्माजी ने श्रीराम से रावण का वध करने के लिए चण्डी देवी की उपासना कर उन्हें प्रसन्न करने के लिए कहा था। चण्डी पाठ एवं हवन के लिए दुर्लभ नीलकमल की भी व्यवस्था स्वयं ब्रह्माजी ने कर दी। वहीं दूसरी ओर रावण ने भी अमरत्व के लिए चण्डी पाठ शुरू कर दिया। यह बात पवन के माध्यम से इन्द्र ने श्रीराम तक पहुंचा दी। इधर रावण ने राम की पूजा बाधित करने के लिए मायावी तरीके से पूजा-स्थल से एक नीलकमल गायब कर दिया। तभी श्रीराम को स्मरण हुआ कि उन्हें ‘नवकंजलोचन’ (कमलनयन) भी कहा जाता है।

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    ज्योतिषाचार्य अनीस व्यास इस कथा के बारे में बताते हैं कि श्रीराम ने अपने एक नेत्र को मां की आराधना में समर्पित करने के उद्देश्य से जैसे ही तुणीर से बाण निकाल कर अपने नेत्र में चलाना चाहा, वैसे ही मां दुर्गा ने श्रीराम के भक्ति भाव से प्रसन्न होकर उन्हें विजयश्री का आशीर्वाद प्रदान कर किया। इस प्रकार रावण का वध हुआ और तब से मां दुर्गा की उपासना का पर्व ‘नवरात्र’ मनाया जाने लगा। दूसरी कथा है- महिषासुर की उपासना से प्रसन्न होकर देवताओं ने उसे अजेय होने का वरदान दिया। महिषासुर ने इसका दुरुपयोग शुरू कर दिया। वह सूर्य, चन्द्र, इन्द्र आदि देवताओं के अधिकार छीन स्वयं स्वर्गलोक का मालिक बन बैठा। उसके भय से पीड़ित देवताओं को स्वर्गलोक छोड़ कर मत्र्यलोक में रहना पड़ा। तब महिषासुर का नाश करने के लिए देवताओं ने मां दुर्गा की रचना की। देवताओं ने मां दुर्गा को बल प्रदान करने के लिए सभी अस्त्र-शस्त्र उन्हें प्रदान कर दिए। अंत में महिषासुर का वध कर मां दुर्गा ‘महिषासुरमर्दिनी’ कहलाईं। इस प्रकार नवरात्र का त्योहार प्रारंभ हुआ।

    कब से शुरू होगी नवरात्रि:

    17 अक्टूबर 2020 (शनिवार) - प्रतिपदा घटस्थापना

    18 अक्टूबर 2020 (रविवार) - द्वितीया माँ ब्रह्मचारिणी पूजा

    19 अक्टूबर 2020 (सोमवार) - तृतीय माँ चंद्रघंटा पूजा

    20 अक्टूबर 2020 (मंगलवार) - चतुर्थी माँ कुष्मांडा पूजा

    21 अक्टूबर 2020 (बुधवार) - पंचमी माँ स्कंदमाता पूजा

    22 अक्टूबर 2020 (गुरुवार) - षष्ठी माँ कात्यायनी पूजा

    23 अक्टूबर 2020 (शुक्रवार) - सप्तमी माँ कालरात्रि पूजा

    24 अक्टूबर 2020 (शनिवार) - अष्टमी माँ महागौरी दुर्गा महा नवमी पूजा दुर्गा महा अष्टमी पूजा

    25 अक्टूबर 2020 (रविवार) - नवमी माँ सिद्धिदात्री नवरात्रि पारणा विजय दशमी

    26 अक्टूबर 2020 (सोमवार) - दुर्गा विसर्जन

    डिसक्लेमर

    'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। '