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Navratri 2020: कौन था दैत्यराज महिषासुर? कैसे हुआ था उसका वध

Navratri 2020 दैत्यराज महिषासुर कौन था? उसका जन्म कैसे हुआ था? उसका वध कैसे हुआ? महिषासुर को किसने मारा? इस सबका जवाब जानने के लिए पढ़ें यह स्टोरी। शक्ति की आराधना का पर्व नवरा​त्रि का प्रारंभ 17 अक्टूबर से होगा।

By Kartikey TiwariEdited By: Published: Wed, 14 Oct 2020 01:55 PM (IST)Updated: Sat, 17 Oct 2020 05:36 AM (IST)
Navratri 2020: कौन था दैत्यराज महिषासुर? कैसे हुआ था उसका वध
दैत्यराज महिषासुर कौन था? उसका जन्म कैसे हुआ था?

Navratri 2020: शक्ति की आराधना का पर्व नवरा​त्रि का प्रारंभ 17 अक्टूबर से होगा। इस दिन से 9 दिनों तक मां दुर्गा की पूजा की जाएगी। 25 अक्टूबर को विजयादशमी मनाई जाएगी। इस दिन ही मां भगवती ने महिषासुर का संहार किया था, जिसके उपलक्ष में हर वर्ष विजयादशमी मनाई जाती है। दैत्यराज महिषासुर कौन था? उसका जन्म कैसे हुआ था? उसका वध कैसे हुआ? महिषासुर को किसने मारा? इस सबका जवाब जानने के लिए पढ़ें यह स्टोरी।

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महिषासुर का जन्म

पौराणिक कथाओं के अनुसार, महिषासुर का जन्म पुरुष और भैंस यानी महिषी के संयोग से हुआ था। वह दैत्य रम्भासुर का बेटा था। वह अपनी माया से कभी भैंस तो कभी मनुष्य का रुप धारण करने में सक्षम था। कहा जाता है कि वह देवताओं के तरह ही स्वयं भी अमरता को प्राप्त करना चाहता था।

महिषासुर को अमरता का वरदान!

अमरत्व की प्राप्ति के लिए उसने सृष्टि के रचनाकार ब्रह्मा जी की तपस्या करने का निर्णय लिया। उसने ब्रह्मा जी को प्रसन्न करने के लिए कठोर तप किया। वर्षों की तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने महिषासुर को दर्शन दिए। उन्होंने उससे वर मांगने को कहा। उसने ब्रह्मा जी से कहा कि उसे अमरत्व प्रदान कर दें ताकि उसका अंत न हो सके। इस पर ब्रह्मा जह ने कहा कि जो जन्म लिया है उसकी मृत्यु निश्चित है, इसलिए ये वरदान नहीं दे सकता। कुछ और मांग लो। तब उसने कहा कि आप यह वरदान दीजिए कि उसकी मृत्यु किसी भी देवता, असुर या पुरुष के हाथों न हो। ब्रह्मा जी ने उसे यह वरदान दे दिया।

महिषासुर का वध

ब्रह्मा जी से वरदान पाकर महिषासुर अत्यंत शक्तिशाली और अत्याचारी हो गया। उसने तीनों लोकों पर अधिकार कर लिया। देवताओं का स्वर्ग भी हासिल कर लिया। देवता उसके अत्याचार से त्रस्त थे। तब सभी देवताओं ने मां भगवती की आराधना की। इस पर मां प्रकट हुईं और देवताओं को अभय का वरदान दिया तथा महिषासुर के अंत का वचन दिया। मां दुर्गा और महिषासुर में भयंकर युद्ध हुआ। देवी ने उसकी विशाल सेना को नष्ट कर दिया। अंत में उन्होंने महिषासुर का भी वध कर दिया।

महिषासुर मर्दिनी

महिषासुर के मर्दन के कारण ही देवी का नाम महिषासुद मर्दिनी पड़ा। कहते हैं कि मां कात्यायनी को सभी देवताओं से दिव्य अस्त्र और शस्त्र मिले थे। उन्होंने ही महिषासुर का वध किया था। मां कात्यायनी नौ दुर्गा में से एक हैं और वे कात्यायन ऋषि की पुत्री थीं।


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