Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Navratri 2020: आदिशक्ति अंबिका कैसे बनीं मां दुर्गा? पढ़ें दुर्गमासुर के वध की क​था

    Navratri 2020 Navratri 2020 आदिशक्ति मां दुर्गा के 9 स्वरुपों की आराधना के लिए समर्पित शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ 17 अक्टूबर दिन शनिवार से हो रहा है। आज हम आपको बता रहे हैं कि मां दुर्गा कौन हैं? इनका नाम दुर्गा कैसे पड़ा। आइए जानते हैं इसके बारे में।

    By Kartikey TiwariEdited By: Updated: Sat, 17 Oct 2020 07:35 AM (IST)
    आज हम आपको बता रहे हैं कि मां दुर्गा कौन हैं?

    Navratri 2020: आदिशक्ति मां दुर्गा के 9 स्वरुपों की आराधना के लिए समर्पित शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ 17 अक्टूबर दिन शनिवार से हो रहा है। इस दिन कलश स्थापना के साथ मां दुर्गा की पूजा विधि विधान से शुरू हो जाएगी। इस दिन से ही लोग 9 दिनों का व्रत रखेंगे तथा उसके नियमों का पालन करेंगे। शारदीय नवरात्रि के आगमन के अवसर पर आज हम आपको बता रहे हैं कि मां दुर्गा कौन हैं? इनका नाम दुर्गा कैसे पड़ा। आइए जानते हैं इसके बारे में।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    शिवपुराण में बताया गया है कि एकाक्षर ब्रह्म, परम अक्षर ब्रह्म भगवान सदाशिव ने अपने विग्रह यानी शरीर से शक्ति का सृजन किया। उस भगवान सदाशिव की पराशक्ति को शक्ति अंबिका कहा गया है, जो गुणवती माया, बुद्धि की जननी, विकाररहित तथा प्रधान प्रकृति हैं। शक्ति अंबिका की आठ भुजाएं हैं, वह अनेक अस्त्रों से युक्त हैं। वह भगवान सदाशिव की पत्नी हैं। सदाशिव उनके बिना अधूरे हैं।

    कैसे नाम पड़ा दुर्गा

    असुर हिरण्याक्ष के वंश में एक शक्तिशाली दैत्य ने जन्म लिया था, जिसका नाम दुर्गमासुर था। वह बड़ा ही बलशाली था। उसके अत्याचार से सब भयभीत थे। देवता भी डरने लगे थे। एक दिन उसने स्वर्ग पर ही आक्रमण कर दिया। देवताओं के राजा इंद्र समेत सभी देव स्वर्ग छोड़कर भाग गए। उसके समक्ष उनकी शक्तियां किसी काम की न थीं।

    स्वर्ग पर अब दुर्गमासुर का अधिकार हो गया था। सभी देवताओं ने अपनी जान बचाने के लिए गुफाओं में शरण ले ली थी। वे दुर्गमासुर को स्वर्ग से कैसे भगाएं और उसे परास्त कैसे किया जाए, यह विकट समस्या थी। तब देवताओं ने आदिशक्ति अंबिका की आराधना करने का निर्णय लिया। सभी देवता मां अंबिका की आराधना करने लगे। उनके तप से प्रसन्न होकर मां अंबिका ने देवताओं को दुर्गमासुर से निर्भय होने का आशीष दिया।

    इस घटना के बारे में दुर्गमासुर को भी जानकारी हो गई। गुप्तचरों ने बताया कि मां अंबिका ने देवताओं को निर्भय होने का वरदान दिया है। इससे दुर्गमासुर क्रोधित हो गया और अपने बल के अहंकार में चूर होकर आदिशक्ति को चुनौती देने चल पड़ा। वह अपने सभी अस्त्र-शस्त्र और दैत्य सेना के साथ मां अंबिका को युद्ध के लिए ललकारा। तब मां अंबिका प्रकट हुईं, फिर उन्होंने दैत्य सेना को तहस-नहस कर दिया। दुर्गमासुर और मां अंबिका में भीषण युद्ध हुआ। इसके पश्चात मां अंबिका ने दुर्गमासुर का वध कर दिया। दुर्गमासुर के वध के कारण ही आदिशक्ति अंबिका मां दुर्गा के नाम से लोकप्रिय हो गईं। तब से उनका एक नाम देवी दुर्गा भी हो गया।