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    National Youth Day 2023: असंभव कुछ भी नहीं, जानिए स्वामी विवेकानंद ने कैसे पाएं अपना लक्ष्य

    By Jagran NewsEdited By: Shantanoo Mishra
    Updated: Wed, 11 Jan 2023 04:58 PM (IST)

    National Youth Day 2023 असंभव कुछ भी नहीं है। जो भी करना है उसमें अपना पूरा दिमाग और पूरी उर्जा लगाओ। सफलता कभी भी तुमसे दूर नहीं जा सकेगी। यह कहना है स्वामी विवेकानंद का आइए जाने उनके जीवन से जुड़ी ऐसी ही कुछ प्रेरणादायक बातों के बारे में।

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    National Youth Day 2023: जानिए स्वामी विवेकानंद के उच्च विचार।

    नई दिल्ली, National Youth Day 2023, Swami Vivekananda Birthday: आज स्वामी विवेकानंद का जन्मदिन है। ऐसे में हम उनके बारे में बहुत सी बातें करते हैं। जिनमें सबसे महत्वपूर्ण है, वह ज्ञान, जो उन्होंने अपने कर्मों से प्रमाणित करते हुए हमें दिया है। कहते हैं, एक बार स्वामी जी किसी कार्य वश भ्रमण करते हुए एक स्थान से गुजर रहे थे। अचानक उन्होंने देखा, कि एक युवक बंदूक से लक्ष्य साधने का अभ्यास कर रहा था। वह पानी में बहते हुए अंडों के छिलकों पर निशाना लगाने का प्रयास कर रहा था। उसे अपने कार्य में सफलता नहीं मिल रही थी। इस पर स्वामी जी ने उससे कहा, कि क्या वे भी प्रयास कर सकते हैं। युवक ने बंदूक उन्हें थमा दी। स्वामी जी ने एक-एक करके 10 बार लक्ष्य साधा, और हर बार निशाना एकदम सटीक लगा। यह देख कर उस युवक ने आश्चर्यचकित होते हुए पूछा, कि आपने यह कैसे कर दिखाया। इस पर स्वामी जी ने मुस्कुराते हुए कहा इसमें कुछ कठिन नहीं है। असंभव कुछ नहीं होता। बस हमें अपने चित्त और दृष्टि को केंद्रित करना होता है। अगर हम पूरे ध्यान से अपने लक्ष्य पर निशाना लगाएंगे, तो यह संभव ही नहीं है कि निशाना चूक जाए।

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    स्वस्थ शरीर में ही पलते हैं स्वस्थ विचार

    एक और अनूठा प्रश्न प्रसंग स्वामी विवेकानंद के बारे में बताया जाता है। कहते हैं एक बार एक युवक गीता पढ़ने की इच्छा से स्वामी जी के पास आया। वह काफी दुबला पतला और बीमार सा लग रहा था। स्वामी जी ने उससे कहा कि वे उसे गीता अवश्य पढ़ाएंगे, किंतु, जब वह 6 महीने तक रोज फुटबॉल का अभ्यास करके आएगा। हालांकि युवक हैरान तो हुआ, पर उसने उनकी आज्ञा मान ली, और 6 महीने बाद वापस आया। स्वामी जी ने उसे देखा और मुस्कुराए, उसके बाद उसे श्रीमद् भागवत गीता का पाठ ज्ञान पूर्वक समझाया। जब उस व्यक्ति ने अपना अध्ययन पूरा कर लिया, तो अंतिम दिन उसने स्वामी जी से पूछा कि, पहले उन्होंने, उससे फुटबॉल का अभ्यास करने को क्यों कहा। स्वामी जी ने हंसते हुए कहा कि, जब तुम मेरे पास पहली बार आए थे, तो काफी दुबले पतले और अस्वस्थ लग रहे थे। जबकि गीता एक महान पुस्तक है। जिसमें शरीर ही नहीं मानसिक बल के बारे में भी काफी विस्तार से बताया गया है। ऐसे में जब तक तुम शरीर से स्वस्थ और सबल नहीं होते, तब तक पूरी सजगता से गीता के अध्यात्म से भरे ज्ञान को नहीं समझ सकते थे।

    डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।