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    Narmadeshwar Shivling: नर्मदा नदी का हर पत्थर क्यों कहलाता है शिवलिंग? पूजा से मिलते हैं कई लाभ

    Updated: Thu, 13 Feb 2025 02:29 PM (IST)

    नर्मदा नदी भी भारत की महत्वपूर्ण और पवित्र नदी नदियों में से एक मानी जाती है। इस नदी को लेकर मान्यता है कि इसके किनारे पर मिलने वाले सभी पत्थर स्वयंभू शिवलिंग (Narmada river stones story) हैं। इसके पीछे एक बड़ी ही खास कथा मिलती है जिसके अनुसार नर्मदा नदी को यह वरदान भगवान शिव द्वारा दिया गया था। चलिए जानते हैं वह कथा।

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    नर्मदा नदी के शिवलिंग को क्यों कहा जाता है नर्मदेश्वर (Picture Credit: Freepik) (AI Image)

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। भारत में ऐसी कई नदियां मौजूद हैं, जिनके अस्तित्व की कथा पौराणिक काल से जुड़ी हुई है। आज हम आपको एक ऐसी ही नदी यानी नर्मदा नदी (Narmada Shivling significance) के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसकी उत्पत्ति की कथा भगवान शिव से संबंधित मानी जाती है।

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    कैसे हुआ नर्मदा नदी का उद्गम

    नदी के तट पर पाए जाने वाले शिवलिंग के आकार के पत्थरों को नर्मदेश्वर शिवलिंग (Narmadeshwar Shivling) या बाणलिंग कहा जाता है। कथा के अनुसार, एक बार भगवान शिव घोर तपस्या कर रहे थे, जिससे उनके शरीर से पसीना टपकने लगा। शिव जी के पसीने से नर्मदा नदी का उद्गम हुआ।

    शिवलिंग उत्पत्ति की कथा

    वहीं शिवलिंग की उत्पत्ति को लेकर यह कथा मिलती है कि नर्मदेश्वर या बाणलिंग शिवलिंग की उत्पत्ति भगवान शिव के एक दिव्य बाण से हुई थी। कथा के अनुसार, जब भगवान शिव ने राक्षस त्रिपुरासुर का वध किया, तो उनके धनुष से एक शक्तिशाली बाण गिरा। इस बाण के गिरने से नर्मदा नदी के जल में शिवलिंग उत्पन्न हो गए। यही कारण है कि नर्मदा नदी के शिवलिंग को बाणलिंग भी कहा जाता है।

    (Picture Credit: Freepik)

    मिलती है एक और कथा

    वहीं शिवलिंग उत्पत्ति को लेकर यह कथा भी मिलती है कि एक बार नर्मदा नदी ने अपनी कड़ी तपस्या से ब्रह्मा जी को प्रसन्न किया और यह वर मांगा कि मुझे गंगा जितनी ही प्रसिद्धि और पवित्रता मिले। इस पर ब्रह्मा जी ने कहा कि अगर कोई दूसरा देवता भगवान शिव और विष्णु जी की बराबरी कर लेगा, तो कोई दूसरी नदी भी गंगा के समान पवित्र हो जाएगी।

    तब नर्मदा ने भगवान शिव की आराधना शुरू की, जिससे महादेव प्रसन्न हुए। तब नर्मदा ने उनसे यह वरदान मांगा कि मेरी भक्ति आपके चरणों में बनी रहे। इससे शिव शंकर काफी प्रसन्न हुए और उन्होंने नर्मदा को यह वरदान दिया कि तुम्हारे तट पर जितने भी पत्थर हैं, वह मेरे वरदान से शिवलिंग स्वरूप हो जाएंगे।

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    (Picture Credit: Freepik)

    मिलते हैं ये लाभ

    नर्मदा नदी के तट पर पाए जाने वाले नर्मदेश्वर शिवलिंग में दिव्य ऊर्जा का वास माना गया है। इसी के साथ इस शिवलिंग की पूजा को अत्यंत शुभ और फलदायी माना गया है। नर्मदेश्वर शिवलिंग की पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने से साधक के जीवन में सुख-समृद्धि का वास बना रहता है। साथ ही रोजाना इस शिवलिंग की पूजा से सभी प्रकार के रोग व दोष भी दूर होते हैं।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।