Yam Deepak 2025: कब जलाया जाएगा यम का दीया? जानें दिशा और नियम
दीपावली के पांच दिवसीय उत्सव में धनतेरस पर कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को यम का दीपक जलाया जाता है। मान्यता है कि इससे यमराज देव की कृपा मिलती है। इस दिन को लेकर कई सारे नियम बनाए गए हैं जिनमें से एक यम का दीपक (Yam Deepak) जलाना भी है। आइए इस तिथि से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Yam Deepak 2025: दीपावली के पांच दिवसीय उत्सव में पहला दिन धनतेरस के रूप में मनाया जाता है। वहीं, कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को यम का दीपक भी जलाया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि मृत्यु के देवता यमराज के नाम से दीपक जलाने से अच्छे स्वास्थ्य का वरदान प्राप्त होता है और यम देव का आशीर्वाद मिलता है, तो आइए इस दिन से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं, जो इस प्रकार हैं -
त्रयोदशी तिथि कब पड़ रही है? (Trayodashi Tithi And Shubh Muhurat)
हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 18 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 18 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इसका समापन 19 अक्टूबर को दोपहर 01 बजाकर 51 मिनट पर होगा। पंचांग को देखते हुए 18 अक्टूबर को धनतेरस का त्योहार मनाया जाएगा।
यम का दीपक जलाने की सही तिथि क्या है? (Yam Deepak 2025 Date)
हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर यम दीप जलाया जाता है, जो तिथि अनुसार 18 अक्टूबर, 2025 को पड़ रहा है। आप सही तिथि के लिए स्थानीय पंचांग का सहारा ले सकते हैं।
दीये की दिशा और स्थान (Direction To Light Yam Diya)
यम का दीया हमेशा दक्षिण दिशा की ओर मुख करके जलाना चाहिए। दक्षिण दिशा यमराज की दिशा मानी जाती है। इस दिशा में दीपक जलाने से यमराज प्रसन्न होते हैं और सभी भयों से मुक्ति मिलती है।
दीया जलाने के नियम (Yam Deepak 2025 Rules)
- यम का दीया चौमुखी होना चाहिए। इसमें चार बत्तियां लगाकर जलाया जाता है।
- दीये में सरसों के तेल का उपयोग किया जाता है।
- दीपक को जलाने के बाद, उसे घर के बाहर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके रख दिया जाता है।
- दीपक जलाते समय यह प्रार्थना करनी चाहिए कि परिवार के सभी सदस्यों की आयु लंबी हो और उन्हें सभी कष्टों से मुक्ति मिले।
- कुक्ष लोग यम का दीपक नाली के पास या अन्य किसी स्थानों पर रखते हैं।
- ऐसी मान्यता है कि इस दीप दान से घर में सदैव सुख-समृद्धि बनी रहती है और अकाल मृत्यु से भय नहीं रहता है।
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