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    Nag Panchami 2020: क्या है नाग पंचमी का इतिहास और इसका महत्व, पढ़ें ये कथाएं

    By Shilpa SrivastavaEdited By:
    Updated: Sat, 25 Jul 2020 12:54 PM (IST)

    Nag Panchami 2020 नागपंचमी के महत्व और इतिहास से जुड़ी कई कहानियां मौजूद हैं जिनमें से कुछ हम आपको यहां बता रहे हैं।

    Nag Panchami 2020: क्या है नाग पंचमी का इतिहास और इसका महत्व, पढ़ें ये कथाएं

    Nag Panchami 2020: श्रावण मास की शुक्ल पंचमी को नाग पंचमी मनाई जाती है जो 25 जुलाई को है। इस दिन नागों की पूजा की जाती है और इनका दूध से अभिषेक किया जाता है। अगर इस दिन शिव शंकर के गले के आभूषण यानी नागों की पूरी श्रद्धा से पूजा की जाए तो शिव जी प्रसन्न होकर भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। नाग पंचमी की पूजा तो पूरे देश में की जाती है लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस पर्व का महत्व क्या है और इसके पीछे क्या इतिहास जुड़ा हुआ है। अगर नहीं तो हम अपने इस आर्टिकल में आपको ये जानकारी दे रहे हैं। हालांकि, आपको बता दें कि नागपंचमी के महत्व और इतिहास से जुड़ी कई कहानियां मौजूद हैं जिनमें से कुछ हम आपको यहां बता रहे हैं।

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    नाग पंचमी का इतिहास:

    भविष्यपुराण के अनुसार, सागर मंथन के दौरान नागों ने अपनी माता की बात नहीं मानी थी जिसके चलते उन्हें श्राप मिला था। नागों को कहा गया था कि वो जनमेजय के यज्ञ में जलकर भस्म हो जाएंगे। घबराए हुए नाग ब्रह्माजी की शरण में पहुंच गए और उनसे मदद मांगने लगे। तब ब्रह्माजी ने कहा कि नागवंश में महात्मा जरत्कारू के पुत्र आस्तिक सभी नागों की रक्षा करेंगे। ब्रह्माजी ने यह उपाय पंचमी तिथि को ही बताया था। वहीं, आस्तिक मुनि ने सावन मास की पंचमी तिथि को नागों को यज्ञ में जलने से बचाया था। इन्होंने नागों के ऊपर दूध डालकर उन्हें बचाया था। उस समय मुनि ने कहा था कि जो भी पंचमी तिथि को नागों की पूजा करेगा उसे नागदंश से कोई डर नहीं रहेगा।

    एक अन्य मान्यता के अनुसार, जब समुंद्र मंथन हुआ था तब किसी को भी रस्सी नहीं मिल रही थी। इस समये वासुकि नाग को रस्सी की तरह इस्तेमाल किया गया था। जहां देवताओं ने वासुकी नाग की पूंछ पकड़ी थी वहीं, दानवों ने उनका मुंह पकड़ा था। मंथन में पहले विष निकला था जिसे शिव भगवान में अपने कंठ में धारण किया था और समस्त लोकों की रक्षा की थी। वहीं, मंथन से जब अमृत निकला तो देवताओं ने इसे पीकर अमरत्व को प्राप्त किया। इसके बाद से ही इस तिथि को नाग पंचमी के पर्व के तौर पर मनाया जाता है।

    एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को ही भगवान श्री कृष्ण ने वृंदावन के लोगों की जानक नाग को हराकर बचाई थी। श्री कृष्ण भगवान ने सांप के फन पर नृत्य किया था। जिसके बाद वो नथैया कहलाए थे। तब से ही नागों की पूजा की परंपरा चली आ रही है।

    नाग पंचमी का महत्व:

    हिंदु धर्म में नागों का विशेष महत्व है। इनकी पूजा पूरी श्रद्धा से की जाती है। बता दें कि नाग शिव शंकर के गले का आभूषण भी हैं और भगवान विष्णु की शैय्या भी। सावन के महीने में हमेशा झमाझमा बारिश होती है और नाग जमीन से बाहर आ जाते हैं। ऐसे में मान्यता के अनुसार, नाग देवता का दूध से अभिषेक किया जाता है और उनका पूजन किया जाता है। इससे वो किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। कहा तो यह भी जाता है कि अगर कुंडली दोष हो तो उसे दूर करने के लिए भी नाग पंचमी का महत्व अत्यधिक होता है।  

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