Pauranik Kathayen: पतन के 5 कारण- जब युधिष्ठिर अपने भाइयों और द्रौपदी को उनके हाल पर छोड़ गए
Pauranik Kathayen महाभारत के अंत जब युधिष्ठिर अपने परिवार के साथ महाप्रस्थान पर थे तब उन्होंने भीम को पतन के पांच कारण बताए थे। आइए जानते हैं उन पांच कारणों को।
Pauranik Kathayen: महाभारत काल में पांडवों ने महाप्रस्थान करते समय उत्तर दिशा में हिमालय पर्वत का दर्शन किया। उसे पारकर जब वे आगे गए तो बालूका समुद्र दिखा। इसके बाद उन्होंने सुमेरु पर्वत के दर्शन किए। सभी पांडव तेजी से आगे बढ़ रहे थे, तभी द्रौपदी लड़खड़ाकर जमीन पर गिर पड़ीं। उनको गिरा देखकर भीम ने बड़े भाई युधिष्ठिर से पूछा कि भ्राता! द्रौपदी ने कोई पाप नहीं किया था, फिर वह नीचे कैसे गिर गई?
तब युधिष्ठिर ने कहा कि द्रौपदी के मन में अर्जुन को लेकर पक्षपात था। आज यह उसका ही फल भोग रही है। यह कहकर युधिष्ठिर द्रौपदी की ओर देखे बिना ही आगे चल दिए। उसके कुछ समय बाद सहदेव भी जमीन पर गिर पड़े। फिर भीम ने पूछा कि भैया! सहदेव सदैव हमसब की सेवा में लगा रहता था, थोड़ा भी अहंकार नहीं था, फिर वह आज क्यों गिर गया?
धर्मराज युधिष्ठिर ने कहा कि सहदेव की कमी यह थी कि वह स्वयं को सबसे ज्यादा विद्वान समझता था, दूसरों को कमतर आंकता था। इस कारण से उसे आज धराशायी होना पड़ा है। इसी बीच द्रौपदी और सहदेव के गिरने से दुखी होकर नकुल भी पृथ्वी पर गिर गए। तब भीम ने युधिष्ठिर से पूछा कि भैया! संसार में नकुल जैसा कोई सुंदर नहीं था। सदैव उसने आज्ञा का पालन किया। फिर आज नकुल के साथ ऐसा क्यों हुआ?
युधिष्ठिर बोले कि नकुल समझता था कि संसार में उसके समान कोई सुंदर नहीं है। उसे लगता था कि वह ही एक मात्र सबसे सुंदर व्यक्ति है। इस वजह से उसे गिरना पड़ा। ये बातें चल रही थीं, तभी अर्जुन भी जमीन पर गिर पड़े और मरणासन्न हो गए। तब भीम ने धर्मराज से पूछा कि भैया! उनको याद नहीं है कि कभी अर्जुन ने झूठ बोला हो। फिर यह कैसा फल है, जिसके कारण उनको भी जमीन पर गिरना पड़ा।
युधिष्ठिर ने कहा कि अर्जुन को अपनी वीरता का अहंकार था। उन्होंने कहा था कि वे सभी शत्रुओं को एक ही दिन में भस्म कर देंगे, लेकिन ऐसा कर नहीं पाए। इन्होंने पृथ्वी के सभी धनुर्धरों का भी अपमान किया था, जिस कारण से इनको यह फल भोगना पड़ा है। इतना कहकर युधिष्ठिर जैसे ही आगे बढ़े, महाबली भीम भी पृथ्वी पर गिर पड़े। उन्होंने अपने बड़े भ्राता को पुकारते हुए पूछा कि यदि आपको पता है तो बताएं उनके जैसा व्यक्ति इस समय धाराशायी कैसे हो गया।
इस युधिष्ठिर ने कहा कि भीम तुम बहुत खाते थे और दूसरों को कुछ नहीं समझते थे। अपने बल का अभिमान करते थे। इसका ही परिणाम तुमको भोगना पड़ रहा है। इतना कहकर युधिष्ठिर भीम की ओर देखे बिना ही आगे प्रस्थान कर गए।