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    Motivational Story: महात्मा बुद्ध के माथे पर लगा पत्थर तो वे रोने लगे, लेकिन कारण जान हो जाएंगे अचंभित

    By Kartikey TiwariEdited By:
    Updated: Thu, 03 Jun 2021 01:30 PM (IST)

    Motivational Story महात्मा बुद्ध के जीवन से जुड़ी हुई अनेकों प्रेरक कथाएं हैं जो लोगों को जीवन में प्रेरणा देती हैं। आज हम आपको भगवान बुद्ध के जीवन से जुड़ी एक ऐसी घटना के बारे में बताने जा रहे हैं जिससे जानकर आप भी प्रेरणा लेंगे।

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    Motivational Story: महात्मा बुद्ध के माथे पर लगा पत्थर तो वे रोने लगे, लेकिन कारण जान हो जाएंगे अचंभित

    Motivational Story: महात्मा बुद्ध के जीवन से जुड़ी हुई अनेकों प्रेरक कथाएं हैं, जो लोगों को जीवन में प्रेरणा देती हैं। उन्होंने लोगों को प्रेम, करुणा, दया, उपकार, जीवों से प्रेम करने जैसे कई अनमोल उपदेश दिए हैं। बौद्ध धर्म के अनुयायी उनके उपदेशों का अनुसरण तो करते ही हैं, अन्य धर्मों और पंथों के लोग भी उनके ज्ञान से अपना मार्गदर्शन करते हैं। जागरण अध्यात्म में आज हम आपको भगवान बुद्ध के जीवन से जुड़ी एक ऐसी घटना के बारे में बताने जा रहे हैं, जिससे जानकर आप भी प्रेरणा लेंगे।

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    स्वभाव में हो भलाई

    एक समय की बात है महात्मा बुद्ध भ्रमण पर थे। पैदल यात्रा करने के कारण वे काफी थक गए थे। रास्ते में उनको एक आम का बगीचा दिखाई दिया। वे वहां पर आराम करने के लिए रुक गए। उन्होंने पेड़ के नीचे गिरे हुए मीठे आम खाए और व​हीं उनकी छाया में आराम करने लगे।

    तभी वहां बागीचे में कुछ युवकों का झुंड आया। वे युवक पत्थर मारकर पेड़ पर लगे हुए आम गिराने लगे। पेड़ के दूसरी तरफ महात्मा बुद्ध आराम कर रहे थे। एक युवक ने पत्थर फेंका, तो वह आम को न लगकर महात्मा बुद्ध के माथे पर जा लगा। उनके माथे से खून बहने लगा।

    यह देखकर वे युवक भयभीत हो गए और वे अपराधबोध से ग्रस्त होकर भगवान बुद्ध के पास आए और उनसे माफी मांगने लगे। उनको देखकर महात्मा बुद्ध की आंखों में आंसू आ गए। युवकों ने सोचा कि माथे में पीड़ा की वजह से उनके आंसू आए हैं। वे उनके चरणों पर गिरकर उनसे क्षमा करने का अनुरोध करने लगे।

    उनमें से एक युवक ने कहा, हमसे भारी भूल हो गई है। हमने आपको मारकर रुला दिया।' इस पर बुद्ध ने कहा, बच्चों, मैं इसलिए दुखी हूं क्योंकि जब तुमने आम के पेड़ पर पत्थर मारा, तो पेड़ ने बदले में तुम्हें मीठे फल दिए, लेकिन जब तुमने मुझे पत्थर मारा, तो मैं तुम्हें कुछ अच्छा देने के बजाय तुम्हें केवल भय दे सका।

    कथा का सार

    भलाई करना हमारे स्वभाव में होना चाहिए, भले ही हमें वह बुराई के बदले में करना पड़े।

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