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    Motivational Story: थोड़ी सी बुराई का होता है बड़ा दुष्प्रभाव, पढ़ें पिता-पुत्र की यह प्रेरक कथा

    By Kartikey TiwariEdited By:
    Updated: Tue, 23 Nov 2021 11:30 AM (IST)

    Motivational Story हर कोई कम से कम कीमत में वस्तुएं खरीदना चाहता है। जब आप किसी वस्तु को उसकी वास्तविक कीमत से कम में खरीदते हैं तो उसका परिणाम क्या ह ...और पढ़ें

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    Motivational Story: थोड़ी सी बुराई का होता है बड़ा दुष्प्रभाव, पढ़ें पिता-पुत्र की यह प्रेरक कथा

    Motivational Story: दैनिक जीवन में हम लोग कई ऐसे कार्य करते हैं, जो हमारे लिए लाभदायक लगता है। अब वस्तुओं के मोलभाव की ही बात है। हर कोई कम से कम कीमत में वस्तुएं खरीदना चाहता है। जब आप किसी वस्तु को उसकी वास्तविक कीमत से कम में खरीदते हैं, तो उसका परिणाम क्या होता है? जानने के लिए पढ़ें पिता-पुत्र की यह प्रेरक कथा।

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    निक्सिवान ने अपने मित्रों को रात्रिभोज पर बुलाया। वह स्वयं रसोई में खाना बना रहा था। जब खाना उसने चखा तो उसे लगा कि खाने में नमक कम है। लेकिन यह क्या? रसोईघर में भी नमक नहीं था। उसने अपने बेटे से कहा, 'जल्दी से थोड़ा नमक खरीद लाओ, लेकिन उसकी सही कीमत चुकाना। न ज्यादा देना, न कम।'

    बेटा बोला- पिताजी, मुझे पता है कि किसी चीज का ज्यादा दाम नहीं चुकाना चाहिए, लेकिन अगर मैं मोलभाव करके कुछ पैसे बचा सकता हूं तो उसमें क्या बुराई है?' निक्सिवान ने कहा, 'क्योंकि ऐसा करने से हमारा यह गांव बर्बाद हो सकता है।' निक्सिवान के मित्र पिता-पुत्र की बातें सुन रहे थे। वे चकित थे कि कम कीमत पर नमक लाने पर गांव कैसे बर्बाद हो सकता है?

    जब उन्होंने निक्सिवान से इस बात का रहस्य जानना चाहा, तो उसने कहा, 'कोई भी दुकानदार कम कीमत पर नमक तभी बेचेगा, जब उसे पैसे की सख्त जरूरत होगी, ऐसे में उससे नमक वही खरीदेगा, जो नमक को तैयार करने में लगे श्रम और श्रमिकों के संघर्ष से वाकिफ नहीं होगा।'

    मित्र ने पूछा, 'लेकिन इससे गांव कैसे बर्बाद हो सकता है?' निक्सिवान बोला, 'तुम्हें शायद इसका पता न हो, लेकिन शुरुआत में संसार में बुराई बहुत कम थी। आने वाली पीढि़यों के लोग उसमें अपनी थोड़ी-थोड़ी बुराई मिलाते गए। उन्हें हमेशा यही लगता रहा कि आटे में नमक के बराबर बुराई से संसार का कुछ नहीं बिगड़ेगा, लेकिन देखो बुराई अब कितनी बड़ी हो चुकी है। जब इतना बड़ा संसार बिगड़ सकता है, तो हमारा छोटा सा गांव क्यों नहीं।'

    कथा-मर्म:

    बुराई कितनी भी छोटी हो, उसका प्रभाव बहुत बड़ा होता है, इसलिए बुराई को पूरी तरह छोड़ना ही बेहतर है।