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Motivational Story In Hindi: अपने कम्फर्ट जोन से बाहर निकलना है बेहद जरूरी, पढ़ें बूढ़े गिद्ध की यह कहानी

Motivational Story In Hindi हम सभी का एक कम्फर्ट जोन होता है। कई बार बहुत मुश्किल हो जाता है उस कम्फर्ट जोन से बाहर आना। इस स्थिति में चुनौतियों का सामना करना या उन्हें हल करना बेहद मुश्किल हो जाता है।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Sat, 26 Sep 2020 11:30 AM (IST)Updated: Sat, 26 Sep 2020 11:30 AM (IST)
Motivational Story In Hindi: अपने कम्फर्ट जोन से बाहर निकलना है बेहद जरूरी, पढ़ें बूढ़े गिद्ध की यह कहानी
अपने कम्फर्ट जोन से बाहर निकलना है बेहद जरूरी, पढ़ें बूढ़े गिद्ध की यह कहानी

Motivational Story In Hindi: हम सभी का एक कम्फर्ट जोन होता है। कई बार बहुत मुश्किल हो जाता है उस कम्फर्ट जोन से बाहर आना। इस स्थिति में चुनौतियों का सामना करना या उन्हें हल करना बेहद मुश्किल हो जाता है। ऐसे में हमें अपने कम्फर्ट जोन से बाहर निकलना बेहद जरूरी हो जाता है। आज की हमारी कहानी इसी पर आधारित है। आइए पढ़ते हैं आज की यह प्रेरक कहानी।

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यह कहानी है गिद्धों की। एक बार गिद्धों का एक झुण्ड उड़ता हुआ एक टापू पर पहुंच गया। यह टापू समुद्र के एकदम बीचों-बीच में था। इस टापू पर ढेर सारी मछलियां, मेंढक और समुद्री जीव थे। ऐसे में गिद्धों के खाने की भी कोई कमी नहीं थी। इसके साथ ही गिद्धों का शिकार करने वाला कई जंगली जानवर भी यहां मौजूद नहीं था। इस टापू पर पहुंचकर गिद्ध बेहद खुश थे। उन्होंने इतना सुखमय जीवन कभी नहीं देखा था। इस झुण्ड में ज्यादातर गिद्ध युवा थे। उन सभी ने सोचा कि वो यहीं रहेंगे और इस आरामदायक जीवन को छोड़कर कहीं नहीं जाएंगे।

इन युवा गिद्धों के बीच एक बूढ़ा गिद्ध भी मौजूद था। युवा गिद्धों की बात सुनकर वह चिंता में पड़ गया। उसने सोचा कि आरामदायक जीवन का इनके जीवन पर क्या असर डालेगा। ये सभी जीवन का वास्तविक अर्थ नहीं समझ पाएंगे। साथ ही जब तक इन्हें चुनौती का सामना नहीं करना पड़ेगा तब तक ये मुकाबला करना कैसे सीखेंगे। काफी देर सोच-विचार करने के बाद एक दिन बूढ़े गिद्ध ने सभी गिद्धों की सभा बुलाई। उसने अपनी चिंता सभी को बताई। उसने कहा कि इस टापू पर हम सभी को बहुत दिन हो गए अब हमें वापस उशी जंगल में चलना चाहिए। बिना चुनौती के हम सभी अपना जीवन जी रहे हैं। क्योंकि बिना चुनौतियों के हम मुसीबतों के लिए तैयार नहीं होंगे।

हालांकि, युवा गिद्धों ने यह अनसुनी कर दी। उन सभी को लगा कि गिद्ध अब बुढ्ढा हो गया और बहकी-बहकी बातें कर रहा है। उन सभी ने आराम की जिंदगी छोड़कर वहां जाने से मना कर दिया। फिर भी बुढ़े गिद्ध ने सभी को समझाने की कोशिश की। लेकिन कोई भी नहीं माना। बूढ़े गिद्ध ने कहा कि तुम सभी उड़ना भूल चुके हो। लेकिन फिर किसी ने बूढ़े गिद्ध की बात नहीं मानी। ऐसे में सभी को छोड़कर बूढ़ा गिद्ध अकेला ही वहां से चला गया। कुछ महीने बाद वो बूढ़ा गिद्ध वापस उस टापू पर युवा गिद्धों की तलाश में गया।

टापू पर पहुंचकर वह अचंभित रह गया। वहां गिद्धों की लाशें पड़ी थीं। वहीं, कई गिद्ध तो ऐसे भी थे जो लहू-लुहान और घायल पड़े हुए थे। तभी एक बूढ़े गिद्ध ने एक गिद्ध से पूछा, “यह सब कैसे हुआ और यह हालत कैसे हुई?” तभी उस गिद्ध ने बताया कि हम सभी मजे से जिंदगी जी रहे थे लेकिन एक दिन यहां एक जहाज आया टापू पर चीते छोड़ गया। कुछ दिन तक तो चीते ने कुछ नहीं किया। लेकिन हम उड़ना भूल चुके थे। साथ ही हमारे पंजे और नाखुन भी कमजोर हो गए थे। हम किसी पर भी हमला भी नहीं कर सकते थे। अपना बचाव भी नहीं कर पा रहे थे। ऐसे में चीतों ने हमें एक-एक कर मारकर खाना शुरू कर दिया। इसी कारण हमारा यह हाल हो गया।

सीख- इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें हमारा कम्फर्ट जोन छोड़कर बाहर आना जरूरी होता है। अगर ऐसा नहीं किया जाए तो हमारे कौशल में जंग लगने में देर नहीं लगती हैं।  


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