Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Motivational Story: मानसिक शांति कैसे प्राप्त करें? संत ने सेठ को दिया ज्ञान

    By Ritesh SirajEdited By:
    Updated: Thu, 15 Jul 2021 11:02 AM (IST)

    Motivational Story व्यक्ति जीवन में शांति के लिए क्या-क्या नहीं करता है। मन की शांति ही व्यक्ति का सच्चा सुकून है। इसके लिए हमें बहुत सारा काम करना पड़ता है। मन की शांति के लिए परोपकार दया सच्चाई और ईमानदारी आदि का अनुसरण करना चाहिए।

    Hero Image
    Motivational Story: मानसिक शांति कैसे प्राप्त करें? संत ने सेठ को दिया ज्ञान

    Motivational Story: व्यक्ति जीवन में शांति के लिए क्या-क्या नहीं करता है। मन की शांति ही व्यक्ति का सच्चा सुकून है। इसके लिए हमें बहुत सारे काम करने पड़ते हैं। मन की शांति के लिए परोपकार, दया, सच्चाई और ईमानदारी आदि अच्छाइयों का अनुसरण करना चाहिए। आज हम एक सेठ और संत की कहानी का वर्णन करेंगे।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बहुत समय पहले की बात है। सेठ अमीरचंद के पास अकूत धन संपदा थी। उसके जीवन में हर तरह की सुख-सुविधा थी। पंरतु उसके मन को शांति नहीं मिल पा रही थी। इतना सबकुछ होने के बाद भी उसे हर पल किसी न किसी बात की चिंता लगी रहती थी। इस अशांति से परेशान होकर एक दिन वह बाहर घूमने गया, तभी उसकी नजर एक आश्रम पर पड़ी। अचानक से उसके कानों में साधु के प्रवचनों की आवाज सुनाई दी।

    सेठ अमीरचंद प्रवचन से इतना प्रभावित हुआ कि आश्रम में जाकर बैठ गया। प्रवचन समाप्त होने के बाद सभी अपने घर चले गए परंतु सेठ अमीरचंद वहीं बैठा रहा। उसे देखकर संत ने कहा कि बोलो, तुम्हारे मन में क्या जिज्ञासा है, जो तुम्हें विचलित किये हुए है। सेठ अमीरचंद थोड़ा अवाक हुआ और फिर जवाब दिया कि मेरे जीवन में शांति नहीं है।

    यह सुनकर संत ने बोला कि घबराओं नहीं, तुम्हारे मन की अशांति जल्द दूर हो जाएगी। संत ने कहा कि तुम आंख बंद करके ध्यान की मुद्रा में बैठ जाओ। सेठ जैसे ही ध्यान की मुद्रा में बैठा, उसके मन में इधर-उधर की बातें घूमने लगीं और उसका ध्यान भटक गया। वह उठकर आश्रम घूमने लगा। वह एक वृक्ष देख रहा था। उसने जैसे ही वृक्ष को छुआ, उसके हाथ में कांटा चुभ गया। वह जोर-जोर से चिल्लाने लगा। यह देखकर संत आश्रम से बाहर आए और उसके हाथ में दवाई का लेप लगाया।

    संत ने सेठ से बोला कि तुम्हारे हाथ में जरा से कांटा चुभा, तो तुम बेहाल हो गए। जरा सोचो तुम्हारे अंदर क्रोध, लोभ और द्वेष जैसे बड़े-बड़े कांटे चुभे हुए हैं, तो तुम्हारा मन कैसे शांत हो सकता है। संत की बात सेठ अमीरचंद को समझ आ गई। वह संतुष्ट होकर वहां से चला गया।

    कहानी की शिक्षा

    ईर्ष्या, घृणा, द्वेष और लोभ आदि सभी बुराइयों से आदमी को हमेशा दूर रहना चाहिए।

    डिसक्लेमर

    'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।''