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    Motivational Story: बच्चे ने लकड़ी के कटोरे से सिखाया अपने माता-पिता को जीवन का बड़ा सबक

    Prerak Kahani परिवार में बहू-बेटे के अलावा उनका चार वर्षीया पोता भी था। सभी एक साथ मिलजुल के रहते थे और साथ में खाना खाते थे। वृद्ध होने के कारण उस व्‍यक्ति को खाने में बड़ी दिक्‍कत होती थी।

    By Ritesh SirajEdited By: Updated: Sun, 18 Jul 2021 10:00 AM (IST)
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    Motivational Story: छोटे बच्चे ने लकड़ी के कटोरे की मदद सिखाया अपने माता-पिता को सबक

    Motivational Story: इंसान को अपने बड़े-बुजुर्ग का पूरा सम्मान करना चाहिए। कभी भी अपने बड़ो का अनादार नहीं करना चाहिए। हम कितने भी बड़े हो जाएं, अपने माता-पिता के लिए हमेशा बच्चे ही रहते हैं। हम उनके स्नेह और प्यार का ऋण कभी भी नहीं उतार सकते हैं। हम उनका सम्मान और आदर करके बस उनके चेहरे पर खुशी ला सकते हैं। आज हम रिश्तों को लेकर एक कहानी "लकड़ी का कटोरा" का विस्तार से वर्णन करेंगे।

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    एक वृद्ध व्‍यक्ति अपने बहू-बेटे के साथ रहने शहर गया। उम्र के इस मुकाम पर वृद्ध के हाथ-पैर कांपने लगे थे। इसके अलावा उसे दिखाई भी कम देता था। परिवार में बहू-बेटे के अलावा उनका चार वर्षीय पोता भी था। सभी एक साथ मिलजुल के रहते थे और साथ में खाना खाते थे। वृद्ध होने के कारण उस व्‍यक्ति को खाने में बड़ी दिक्‍कत होती थी। हर दिन उनके थाली से कुछ न कुछ गिर जाता था।

    यह सिलसिला कुछ दिन चलने के बाद बहू-बेटे परेशान होने लगे। लड़के ने पत्नी से कहा कि हमें इनका कुछ करना पड़ेगा। बहू ने हाँ में हाँ मिला दी। अगले दिन खाने के समय बेटे ने एक पुरानी मेज को कमरे के एक कोने में लगा दिया। इसके बाद बेटे ने बाप से बोला कि पिता जी आप यहां पर बैठ कर खाना खाया करो। वृद्ध आदमी अगले दिन से वहीं खाना खाने लगे।

    कुछ समय के बाद पिता के खाने-पीने के बर्तनों की जगह एक लकड़ी का कटोरा दे दिया। बाकी बहू-बेटे और पोते पहले की तरह ही आराम से बैठ कर खाना खाते थे। यह सब देखकर बुजुर्ग की आंखों में आंसू आ जाते थे, जिसे देखकर भी बहू-बेटे का दिल नहीं पिघला। इसके उलट अब वृद्ध की छोटी सी छोटी गलती पर बहुत सारी बातें सुना देते थे। वृद्ध का पोता यह सब बड़े ध्‍यान से देखता रहता और अपने में मस्‍त रहता।

    एक दिन रात में बच्चे के माता पिता ने देखा वह जमीन पर बैठकर कुछ काम कर रहा था। माता-पिता ने अपने बच्चे से पूछा कि बेटा तुम क्‍या बना रहे हो? बच्‍चे ने मासूमियत भरा जवाब दिया कि अरे मैं तो आप लोगों के लिए लकड़ी का कटोरा बना रहा हूं। जब आप लोग वृद्ध हो जाएंगे, तो इसमें खा सकें। बच्चा पुन: अपना काम करने लगा। माता-पिता के मुंह से एक भी शब्‍द भी नहीं निकला, बल्कि उनके आंखों से आंसू आ गए। उन्हें अपने गलती का एहसास हुआ। उस रात वो अपने बूढ़े पिता को वापस डिनर टेबल पर लेकर आए।

    डिसक्लेमर

    'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।''