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    Motivational: बस ये दो चीजें चाहिएं, फिर और जीवन में कहां कुछ जरूरत है

    By Shilpa SrivastavaEdited By:
    Updated: Fri, 28 Aug 2020 10:30 AM (IST)

    जागरण आध्यात्म के इस लेख में आज हम आप तक पहुंचाएंगे ऐसे ही दुनिया के जाने माने विचारकों के सकरात्मकता से ओत-प्रोत विचार। ...और पढ़ें

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    Motivational: बस ये दो चीजें चाहिएं, फिर और जीवन में कहां कुछ जरूरत है
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    अपने जीवन में आई समस्त दीनता पर मैं विचार नहीं करती, किंतु जीवन के उस सौंदर्य पर अवश्य ध्यान देती हूं, जो अब भी शेष है। ये विचार हैं, ऐन फ्रैंक के। ऐन फ्रैंक के इस कथन में साफ तौर से छिपा है जिसे बदल नहीं सकते उसका रोना मत रोइए जो संवर सकता है उसके निर्माण में जुट जाइए। यहीं जिंदगी है। इस जिंदगी की खूबसूरती को समझिए। जागरण आध्यात्म के इस लेख में आज हम आप तक पहुंचाएंगे ऐसे ही दुनिया के जाने माने विचारकों के सकरात्मकता से ओत-प्रोत विचार।

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    सिसरो का कथन है कि आपके पास एक बगीचा और एक पुस्तकालय है तो फिर आपको किसी और चीज की जरूरत नहीं।

    क्या खूब विचार हैं सिसरो के। कहते हैं पेड़ आपकी बाते सुनते हैं, बस प्यार से बात कीजिए। अगर आपके आस पास पेड़ हैं तो ऑक्सीजन के साथ साथ एक अलग तरह की पोजिटव एनर्जी भी वो देते हैं। ठीक ऐसे ही किताबें हैं, माना कि उनमें जान नहीं है, लेकिन हताश हुए लोगों में जान डालने के लिए किताबें काफी हैं।

    एबिगेल वान ब्यूरेन का कहना है कि आप चाहते हैं कि आपके बच्चे अपनी जिम्मेदारी समझें, व्यावहारिक बनें तो आप उनके कंधों पर कुछ जिम्मेदारी डाल कर देखें। बिलकुल सही बात है। बच्चों का जिम्मेदार बनना जरूरी है। वो आने वाला कल हैं। वो हमारे परिवार का ही नहीं बल्कि समाज, देश और मानवता का मुस्तकबिल हैं। उन्हें जिम्मेदारियां देकर मजबूत बनाया ही जाना चाहिए।

    चैस्टर्टन कहते हैं-

    धारा की दिशा में तो शव भी बह सकता है, किंतु धारा के विरुद्ध तैरना ही जीवन का प्रमाण है। इस वाक्य में भेड़चाल का विरोध किया गया है। जहां सब चल रहे हैं वहां तो कोई भी चल सकता है। जैसे कि नदी में बहती धारा में तो शव, निर्जीव वस्तुएं भी बढ़ जाती हैं। जीवन में कुछ अलग करना है तो धारा के विपरीत बह कर दिखाइए। जो गलत हो रहा है उसका विरोध कीजिए। कुछ नया कीजिए