Mothers Day 2023: सनातन धर्म में हर दिन मनाया जाता है मातृ दिवस, जानिए मातृ पूजा का महत्व
Mothers Day 2023 माताओं की पूजा और उनकी उपासना करने की परंपरा भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से चली आ रही है। मातृ दिवस पर जानिए क्या है हिन्दू और भा ...और पढ़ें

नई दिल्ली, आध्यात्म डेस्क | Mothers Day 2023: हर साल मई मास के दूसरे रविवार के दिन मातृ दिवस मनाया जाता है। वर्ष 2023 में मातृ दिवस 14 मई को मनाया जाएगा। लेकिन भारतीय संस्कृति में विशेषतः हिन्दू धर्म में हर दिन मातृ पूजा का विधान है। वैदिक ग्रन्थ एवं वेद-पुराणों में माताओं के विषय में विस्तार से बताया गया है। साथ ही सभी भारतीय अपने देश को 'भारत मां' कहकर ही संबोधित करते हैं। किसी भी पूजा या धार्मिक अनुष्ठान में प्रमुख देवताओं के साथ माताओं की भी उपासना की जाती है। आइए जानते हैं शास्त्रों में माताओं की उपासना के सन्दर्भ में क्या कहा गया है?
हिंदू धर्म में क्या है मातृ पूजा का महत्व?
1. त्वमेव माता च पिता त्वमेव,
त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव।
त्वमेव विद्या च द्रविणं त्वमेव,
त्वमेव सर्वम् मम देवदेवं।।
इस वैदिक श्लोक में कहा गया है कि आप ही माता हो, आप पिता भी हो, आप बंधु और मित्र भी हो। आप हमारी विद्या हप और आप द्रव्य हो। आप ही सब कुछ हो और मेरे अराध्य हो।
2. जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गदपि गरीयसी।
वाल्मीकि रामायण के कुछ छंदों में यह श्लोक है, जो एक श्लोक का आधा भाग है। इसमें बताया गया है कि माता और मातृभूमि का स्थान स्वर्ग से भी ऊपर होता है। उनके चरणों में वैकुंठ धाम है।
3. नास्ति मातृसमा छाया, नास्ति मातृसमा गतिः।
नास्ति मातृसमं त्राण, नास्ति मातृसमा प्रिया।।
जीवन में माताओं की विशेष तो बताते हुए इस श्लोक में कहा गया है कि माता के समान कोई छाया नहीं है और उनके समान कोई सहारा भी नहीं है। मां के समान कोई रक्षक नही और कोई प्रिय चीज भी उनके समान नहीं है।
4. अथ शिक्षा प्रवक्ष्यामः
मातृमान् पितृमानाचार्यवान पुरूषो वेदः।
इस श्लोक में बताया गया है कि तीन उत्तम शिक्षक इस संसार में नहीं है पहली मां, फिर पिता और तीसरे आचार्य। इनके सानिध्य के बिना मनुष्य कभी ज्ञानवान नहीं हो सकता है।
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