Mokshada Ekadashi 2024: मोक्षदा एकादशी की पूजा के समय करें ये आरती, पूरी होंगी सभी इच्छाएं
मोक्षदा एकादशी का व्रत बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का विधान हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन श्री हरि की पूजा करने से भक्तों के सभी दुखों का अंत हो जाता है और अपार वैभव की प्राप्ति होती है तो चलिए इस दिन (Mokshada Ekadashi 2024) श्री हरि को कैसे प्रसन्न करना है आइए उसके बारे में जानते हैं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का खास महत्व है। यह प्रति माह पूर्ण भक्ति के साथ मनाई जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल मोक्षदा एकादशी मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि यानी 11 दिसंबर को मनाई जाएगी। ऐसा माना जाता है कि इस दिन श्री हरि की उपासना करने से जीवन में शुभता आती है। इसके साथ ही मोक्ष की प्राप्ति है। ऐसे में इस शुभ अवसर पर सुबह उठकर स्नान करें। इसके बाद श्री हरि की विधिवत पूजा करें। फिर उनकी आरती भाव के साथ करें। अंत में शंखनाद करें।
कहते हैं कि इस दिन (Mokshada Ekadashi 2024) भगवान विष्णु और मां तुलसी की भव्य आरती करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं, तो चलिए यहां करते हैं।
।।भगवान विष्णु की आरती।। (Bhagwan Vishnu Ki Aarti)
ॐ जय जगदीश हरे आरती
ॐ जय जगदीश हरे...
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥
ॐ जय जगदीश हरे...
जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।
स्वामी दुःख विनसे मन का।
सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥
ॐ जय जगदीश हरे...
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी।
स्वामी शरण गहूं मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥
ॐ जय जगदीश हरे...
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।
स्वामी तुम अन्तर्यामी।
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥
ॐ जय जगदीश हरे...
तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।
स्वामी तुम पालन-कर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥
ॐ जय जगदीश हरे...
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
स्वामी सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति॥
ॐ जय जगदीश हरे...
दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
स्वामी तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥
ॐ जय जगदीश हरे...
विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
स्वामी पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥
ॐ जय जगदीश हरे...
श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।
स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥
ॐ जय जगदीश हरे...
मां तुलसी की आरती (Tulsi Mata Ki Aarti)
जय जय तुलसी माता, मैय्या जय तुलसी माता ।
सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता।।
मैय्या जय तुलसी माता।।
सब योगों से ऊपर, सब रोगों से ऊपर।
रज से रक्ष करके, सबकी भव त्राता।
मैय्या जय तुलसी माता।।
बटु पुत्री है श्यामा, सूर बल्ली है ग्राम्या।
विष्णुप्रिय जो नर तुमको सेवे, सो नर तर जाता।
मैय्या जय तुलसी माता।।
हरि के शीश विराजत, त्रिभुवन से हो वंदित।
पतित जनों की तारिणी, तुम हो विख्याता।
मैय्या जय तुलसी माता।।
लेकर जन्म विजन में, आई दिव्य भवन में।
मानव लोक तुम्हीं से, सुख-संपति पाता।
मैय्या जय तुलसी माता।।
हरि को तुम अति प्यारी, श्याम वर्ण सुकुमारी।
प्रेम अजब है उनका, तुमसे कैसा नाता।
हमारी विपद हरो तुम, कृपा करो माता।
मैय्या जय तुलसी माता।।
जय जय तुलसी माता, मैय्या जय तुलसी माता।
सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता॥
मैय्या जय तुलसी माता।।
यह भी पढ़ें: Mahakumbh Kalpvas 2025: कुंभ मेला में क्यों किया जाता है कल्पवास, क्या है इसके पीछे का कारण?
अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।