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    Mohini Ekadashi Vrat 2025: मोहिनी एकादशी पर करें ये काम, बनेंगे सभी बिगड़े काम

    Updated: Thu, 08 May 2025 08:38 AM (IST)

    मोहिनी एकादशी का व्रत बेहद फलदायी माना जाता है। यह व्रत करने से सभी पापों का नाश होता है। इस तिथि पर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा होती है। इस साल यह व्रत (Mohini Ekadashi 2025 Date) 8 मई यानी आज के दिन रखा जा रहा है। ऐसे में इस दिन श्री राधा कृष्ण अष्टकम का पाठ जरूर करें जो बहुत शुभ माना जाता है।

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    Mohini Ekadashi Vrat 2025: श्री राधा कृष्ण अष्टकम।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष को आने वाली एकादशी को मोहिनी एकादशी के नाम से जाना जाता जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की मोहिनी रूप की पूजा का विधान है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने सभी कष्टों से मुक्ति मिलती और जीवन में सुखों का आगमन होता है। वहीं, इस दिन श्रीकृष्ण की पूजा भी होती है।

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    ऐसे में इस दिन (Mohini Ekadashi Vrat 2025) ''श्री राधा कृष्ण अष्टकम'' का पाठ जरूर करें। यह परम फलदायी माना गया है, आइए इसका पाठ करते हैं।

    ।।श्री राधा कृष्ण अष्टकम।। (Shri Radha Krishna Stotra)

    चथुर मुखाधि संस्थुथं, समास्थ स्थ्वथोनुथं ।

    हलौधधि सयुथं, नमामि रधिकधिपं ॥

    भकाधि दैथ्य कालकं, सगोपगोपिपलकं ।

    मनोहरसि थालकं, नमामि रधिकधिपं ॥

    सुरेन्द्र गर्व बन्जनं, विरिञ्चि मोह बन्जनं ।

    वृजङ्ग ननु रञ्जनं, नमामि रधिकधिपं ॥

    मयूर पिञ्च मण्डनं, गजेन्द्र दण्ड गन्दनं ।

    नृशंस कंस दण्डनं, नमामि रधिकधिपं ॥

    प्रदथ विप्रदरकं, सुधमधम कारकं ।

    सुरद्रुमपःअरकं, नमामि रधिकधिपं ॥

    दानन्जय जयपाहं, महा चमूक्षयवाहं ।

    इथमहव्यधपहम्, नमामि रधिकधिपं ॥

    मुनीन्द्र सप करणं, यदुप्रजप हरिणं ।

    धरभरवत्हरणं, नमामि रधिकधिपं ॥

    सुवृक्ष मूल सयिनं, मृगारि मोक्षधयिनं ।

    श्र्वकीयधमययिनम्, नमामि रधिकधिपं ॥

    ।।श्री राधा कृष्ण स्तोत्र।।

    वन्दे नवघनश्यामं पीतकौशेयवाससम् ।

    सानन्दं सुन्दरं शुद्धं श्रीकृष्णं प्रकृतेः परम् ॥

    राधेशं राधिकाप्राणवल्लभं वल्लवीसुतम् ।

    राधासेवितपादाब्जं राधावक्षस्थलस्थितम् ॥

    राधानुगं राधिकेष्टं राधापहृतमानसम् ।

    राधाधारं भवाधारं सर्वाधारं नमामि तम् ॥

    राधाहृत्पद्ममध्ये च वसन्तं सन्ततं शुभम् ।

    राधासहचरं शश्वत् राधाज्ञापरिपालकम् ॥

    ध्यायन्ते योगिनो योगान् सिद्धाः सिद्धेश्वराश्च यम् ।

    तं ध्यायेत् सततं शुद्धं भगवन्तं सनातनम् ॥

    निर्लिप्तं च निरीहं च परमात्मानमीश्वरम् ।

    नित्यं सत्यं च परमं भगवन्तं सनातनम् ॥

    यः सृष्टेरादिभूतं च सर्वबीजं परात्परम् ।

    योगिनस्तं प्रपद्यन्ते भगवन्तं सनातनम् ॥

    बीजं नानावताराणां सर्वकारणकारणम् ।

    वेदवेद्यं वेदबीजं वेदकारणकारणम् ॥

    योगिनस्तं प्रपद्यन्ते भगवन्तं सनातनम् ।

    गन्धर्वेण कृतं स्तोत्रं यः पठेत् प्रयतः शुचिः ।

    इहैव जीवन्मुक्तश्च परं याति परां गतिम् ॥

    हरिभक्तिं हरेर्दास्यं गोलोकं च निरामयम् ।

    पार्षदप्रवरत्वं च लभते नात्र संशयः ॥

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।