Mohini Ekadashi 2024: भगवान विष्णु की पूजा करते समय करें इन मंत्रों का जप, आर्थिक तंगी होगी दूर
इस व्रत के पुण्य-प्रताप से जातक के सकल मनोरथ सिद्ध होते हैं। साथ ही जीवन में व्याप्त दुख और संकट दूर हो जाते हैं। शास्त्रों में निहित है कि एकादशी व्रत करने से साधक को मृत्यु उपरांत मोक्ष की प्राप्ति होती है। अगर आप भी अपने जीवन में व्याप्त आर्थिक विषमता से निजात पाना चाहते हैं तो मोहिनी एकादशी के दिन स्नान-ध्यान के बाद लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करें।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Mohini Ekadashi 2024: सनातन धर्म में एकादशी तिथि जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त एकादशी व्रत रखा जाता है। वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी कहा जाता है। इस वर्ष 19 मई को मोहिनी एकादशी है। इस दिन साधक विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से जातक के सकल मनोरथ सिद्ध होते हैं। साथ ही जीवन में व्याप्त दुख और संकट दूर हो जाते हैं। शास्त्रों में निहित है कि एकादशी व्रत करने से साधक को मृत्यु उपरांत मोक्ष की प्राप्ति होती है। अगर आप भी अपने जीवन में व्याप्त आर्थिक विषमता से निजात पाना चाहते हैं, तो मोहिनी एकादशी के दिन स्नान-ध्यान के बाद नियमपूर्वक लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय इन मंत्रों का जप और लक्ष्मी नरसिंह ऋण मोचन स्तोत्र का पाठ करें।
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लक्ष्मी नारायण मंत्र
- शान्ताकारम् भुजगशयनम् पद्मनाभम् सुरेशम्
विश्वाधारम् गगनसदृशम् मेघवर्णम् शुभाङ्गम्।
- लक्ष्मीकान्तम् कमलनयनम् योगिभिर्ध्यानगम्यम्
वन्दे विष्णुम् भवभयहरम् सर्वलोकैकनाथम्॥
- ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥
- मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।
मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥
- ॐ नमो ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं क्लीं क्लीं श्रीं लक्ष्मी मम गृहे धनं देही चिन्तां दूरं करोति स्वाहा ॥
- ॐ ह्री श्रीं क्रीं श्रीं क्रीं क्लीं श्रीं महालक्ष्मी मम गृहे धनं पूरय पूरय चिंतायै दूरय दूरय स्वाहा ।
- ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं त्रिभुवन महालक्ष्म्यै अस्मांक दारिद्र्य नाशय प्रचुर धन देहि देहि क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।
नरसिंह ऋण मोचन स्तोत्र
ॐ देवानां कार्यसिध्यर्थं सभास्तम्भसमुद्भवम् ।
श्रीनृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये ॥
लक्ष्म्यालिङ्गितवामाङ्गं भक्तानामभयप्रदम् ।
श्रीनृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये ॥
प्रह्लादवरदं श्रीशं दैतेश्वरविदारणम् ।
श्रीनृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये ॥
स्मरणात्सर्वपापघ्नं कद्रुजं विषनाशनम् ।
श्रीनृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये ॥
अन्त्रमालाधरं शङ्खचक्राब्जायुधधारिणम् ।
श्रीनृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये ॥
सिंहनादेन महता दिग्दन्तिभयदायकम् ।
श्रीनृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये ॥
कोटिसूर्यप्रतीकाशमभिचारिकनाशनम् ।
श्रीनृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये ॥
वेदान्तवेद्यं यज्ञेशं ब्रह्मरुद्रादिसंस्तुतम् ।
श्रीनृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये ॐ ॥
इदं यो पठते नित्यं ऋणमोचकसंज्ञकम् ।
अनृणीजायते सद्यो धनं शीघ्रमवाप्नुयात् ॥
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