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    Pitru Paksha 2024: पितरों को भोजन अर्पित करते समय इन बातों का रखें ध्यान, तभी पूर्ण होगा संकल्प

    Updated: Thu, 12 Sep 2024 10:36 AM (IST)

    पितृ पक्ष की अवधि बेहद विशेष मानी जाती है। यह 16 दिनों तक चलती है और लोग इस दौरान अपने पूर्वजों का पिंडदान करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस दौरान (Pitru Paksha 2024) पितृ तर्पण और पिंड दान करना बहुत पुण्यदायी माना जाता है। ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। साथ ही जीवन में खुशहाली आती है।

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    पितरों को भोजन अर्पित करने के नियम

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में पितृ पक्ष को बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। यह समय पितरों की पूजा के लिए समर्पित है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दौरान लोग अपने पूर्वजों का तर्पण और उनकी आत्मा की शांति के लिए विभिन्न प्रकार के अनुष्ठान करते हैं। इस अवधि (Pitru Paksha 2024) को श्राद्ध पक्ष के नाम से भी जाना जाता है। वैदिक पंचांग के अनुसार, इस बार पितृ पक्ष 17 सितंबर, 2024 से शुरू हो रहे हैं, तो चलिए इस दौरान पितरों को भोजन अर्पित करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? उसके बारे में जानते हैं।

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    पितरों को भोजन अर्पित करने के नियम (Pitru Paksha 2024 Bhojan Niyam)

    • श्राद्ध पक्ष (Pitru Paksha 2024) के दौरान पितरों की पूजा अभिजीत मुहूर्त में शुभ मानी जाती है।
    • पितृ देवता की पूजा और उन्हें भोजन दोपहर को अर्पित करना चाहिए।
    • मध्यान्ह काल की अवधि दिवंगत आत्माओं के अनुष्ठान के लिए सबसे शुभ अवधि मानी जाती है।
    • सबसे पहले पितरों को भोजन अर्पित करना चाहिए, फिर इसके बाद ब्राह्मणों भोज कराना चाहिए, इससे पितृ प्रसन्न होते हैं।
    • पितरों को भोजन अर्पित करने से पूर्व भोजन के तीन अंश निकालने चाहिए, जिसका पहला हिस्सा पितरों के लिए, दूसरा कुत्ते के लिए और तीसरा कौवे के लिए होता है।
    • पितृ देवका को घर की दक्षिण दिशा में स्थान देना चाहिए और श्राद्ध पक्ष के दौरान इस दिशा को साफ रखना चाहिए।
    • भोजन अर्पित करते समय वैदिक मंत्रों का जाप करना चाहिए, इसके साथ ही पितरों के नाम का दीपक जलाना चाहिए और हवन करना चाहिए।
    • पितृ देवता को भोजन अर्पित करते समय मन में यह संकल्प लेना चाहिए कि यह भोजन उनकी आत्मा को तृप्त करने के लिए है।

    पितृ देवता के वैदिक मंत्र

    पितृ गायत्री मंत्र

    • ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्।
    • ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च। नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:।
    • ॐ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि। शिव-शक्ति-स्वरूपेण पितृ-देव प्रचोदयात्।

    पितृ पूजन मंत्र

    1. ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च

    नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।

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