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    Matsya Dwadashi 2023: आज मनाई जाएगी मत्स्य द्वादशी, जानिए भगवान विष्णु को क्यों लेना पड़ा मछली का रूप

    Matsya Dwadashi 2023 Date मत्स्य अवतार विष्णु भगवान का प्रथम अवतार माना गया है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को ही भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था इसलिए इन तिथि को मत्स्य द्वादशी के रूप में मनाया जाता है। इस साल मत्स्य द्वादशी 23 दिसम्बर 2023 शनिवार के दिन मनाई जा रही है।

    By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Sat, 23 Dec 2023 10:25 AM (IST)
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    Matsya Dwadashi 2023 मत्स्य द्वादशी आज, जानिए भगवान विष्णु को क्यों लेना पड़ा मछली का रूप।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Matsya Avatar Story: हर साल मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मत्स्य द्वादशी मनाई जाती है। माना जाता है कि जो साधक इस दिन विधि-विधान से भगवान विष्णु के मत्स्य रूप की पूजा करता है, उसे सुख-शांति की प्राप्ति होती है। ऐसे में आइए पढ़ते हैं मत्स्य द्वादशी की कथा।

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    पढ़िए पौराणिक कथा (Matsya Avatar Story)

    कथा के अनुसार एक बार एक सत्यव्रत नाम के प्रतापी राजा, नदी में स्नान करने गए। जब सूर्य देव को जल अर्पित कर रहे थे तो उनकी अंजलि में एक छोटी-सी मछली की आ गई। राजा ने मछली को पुनः नदी में छोड़ना चाहा, लेकिन तभी मछली बोली कि 'राजन में इस नदी में बड़े-बड़े जीव रहते हैं, जो मुझे मारकर खा सकते हैं। कृपया मेरे प्राणों की रक्षा करें।' तब राजा सत्यव्रत उस मछली को अपने कमंडल में रख लिया और अपने घर ले आए।

    तालाब भी पड़ गया छोटा

    अगली सुबह जब सत्यव्रत ने देखा तो पाया कि मछली का शरीर इतना बड़ा हो चुका था कि कमंडल उसके लिए छोटा पड़ गया। तब मछली बोली कि 'राजा मैं इस कमंडल में नहीं रह पा रही हूं। कृपया मेरे लिए कोई और स्थान ढूंढिए।' तब सत्यव्रत ने मछली को कमंडल से निकालकर पानी के बड़े मटके में रख दिया। जब राजा ने अगली सुबह देखा तो मटका भी मछली के लिए छोटा पड़ गया। ऐसा करते-करते एक समय के बाद मछली का आकार इतना बड़ा हो गया कि उसे बड़े तालाब में डालना पड़ा। लेकिन कुछ समय बाद मछली का आकार इतना बढ़ गया कि तालाब भी उसके लिए छोटा पड़ गया और उसके बाद राजा ने उसे समुद्र में डाल दिया गया।

    राजा का भगवान ने दिए दर्शन

    लेकिन इसके बाद समुद्र की मछली के लिए छोटा पड़ गया। तब सत्यव्रत समझ गए कि ये कोई आम मछली नहीं है। तब राजा ने बड़े ही विनम्र स्वर में पूछा कि 'आप कौन हैं, जिन्होंने सागर को भी डुबो दिया है?' तब भगवान विष्णु ने उत्तर दिया कि 'मैं हयग्रीव नामक दैत्य के वध के लिए आया हूं। जिसने छल से ब्रह्मा जी से वेदों को चुरा लिया है जिस कारण ज्ञान लुप्त होने से समस्त लोक में अज्ञानता का अंधकार फैल गया है।' भगवान विष्णु आगे कहा कि 'आज से 7 दिन के बाद पृथ्वी पर प्रलय आएगी और संपूर्ण पृथ्वी जलमग्न हो जाएगी। तब आपके पास एक नाव आएगी और तब आपको अनाज, औषधि, बीज एवं सप्त ऋषियों को साथ लेकर उस नाव में सवार होना होगा।

    ब्रह्मा जी को वापस सौंप वेद

    भगवान के कथन अनुसार सातवें दिन प्रलय आने पर सत्यव्रत ने ऐसा ही किया और नाव में सप्त ऋषियों को नाव चढ़ाने के साथ-साथ अनाज, औषधि को भरकर रख लिया। इसी बीच सत्यव्रत को मत्स्य रूप में भगवान के पुनः दर्शन हुए। इसके बाद भगवान ने हयग्रीव राक्षस का वध किया और सभी वेद वापस लेकर ब्रह्मा जी को सौंप दिए।

    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'