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    Masik Shivratri 2024: मासिक शिवरात्रि और सोमवार का दुर्लभ संयोग, इस खास समय करें भगवान शिव की पूजा-अर्चना

    इस बार मासिक शिवरात्रि (Masik Shivratri 2024) का व्रत 6 मई को रखा जाएगा। इस दिन भगवान शंकर की पूजा का विधान है। ऐसा माना जाता है कि जो लोग इस दिन शिव जी की सच्चे भाव के साथ पूजा- अर्चना करते हैं उन्हें उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके अलावा इस दिन उनके वैदिक मंत्रों का जाप भी शुभ माना गया है।

    By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Mon, 06 May 2024 09:18 AM (IST)
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    Masik Shivratri 2024: मासिक शिवरात्रि पर सोमवार का शुभ संयोग

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Masik Shivratri 2024: मासिक शिवरात्रि का दिन बेहद शुभ माना जाता है, जो भगवान शिव को समर्पित है। भक्त भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए इस शुभ दिन पर कठिन उपवास रखते हैं। साथ ही मंदिर जाते हैं। इस बार मासिक शिवरात्रि वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 6 मई, 2024 यानी आज मनाई जा रही है, तो आइए आज के शुभ संयोग के बारे में जानते हैं -

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    मासिक शिवरात्रि पर सोमवार का शुभ संयोग

    चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 6 मई, 2024 दिन सोमवार 02 बजकर 40 मिनट पर होगी। वहीं, इसका समापन अगले दिन 7 मई, 2024 दिन मंगलवार 11 बजकर 40 मिनट पर होगा। इसके साथ ही मासिक शिवरात्रि की पूजा करने का शुभ मुहूर्त 6 मई रात्रि 11 बजकर 59 मिनट से 12 बजकर 45 मिनट तक रहेगा। इस बार यह पर्व बेहद शुभ माना जा रहा है, क्योंकि मासिक शिवरात्रि और सोमवार का दिन दोनों ही भोलेनाथ को अति प्रिय है। और यह अद्भुत संयोग कभी -कभी ही देखने को मिलता है।

    इसके अलावा इस दिन प्रीति योग और आयुष्‍मान योग जैसे महायोग बन रहे हैं। ऐसे में जो लोग भोलेनाथ की कृपा पाना चाहते हैं, उन्हें आज के दिन का उपवास करना चाहिए। साथ ही शिव जी की विशेष आराधना करनी चाहिए।

    मासिक शिवरात्रि पर इन मंत्रों का करें जाप

    1. मन्दाकिन्यास्तु यद्वारि सर्वपापहरं शुभम् ।

    तदिदं कल्पितं देव स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम् ॥

    श्रीभगवते साम्बशिवाय नमः । स्नानीयं जलं समर्पयामि।

    2. करचरणकृतं वाक् कायजं कर्मजं श्रावण वाणंजं वा मानसंवापराधं ।

    विहितं विहितं वा सर्व मेतत् क्षमस्व जय जय करुणाब्धे श्री महादेव शम्भो ॥

    3. ऊँ हौं जूं स: ऊँ भुर्भव: स्व: ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।

    ऊर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ऊँ भुव: भू: स्व: ऊँ स: जूं हौं ऊँ।।

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    डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।