Masik Krishna Janmashtami पर शिववास और द्विपुष्कर योग समेत बन रहे हैं कई मंगलकारी संयोग
माघ माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर मासिक कालाष्टमी भी मनाई जाती है। इस शुभ अवसर पर भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव की पूजा (Kaal Bhairav Puja Vidhi) की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही काल भैरव देव की कृपा बरसती है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, 21 जनवरी को मासिक कृष्ण जन्माष्टमी है। इस दिन भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है। साथ ही मनोवांछित फल पाने के लिए व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही सुखों में वृद्धि होती है।
ज्योतिषियों की मानें तो मासिक कृष्ण जन्माष्टमी पर शिववास योग समेत कई मंगलकारी योग बन रहे हैं। इन योग में भगवान कृष्ण की पूजा करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। अगर आप भी भगवान कृष्ण की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो मासिक कृष्ण जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण की पूजा करें।
यह भी पढ़ें: जानें, क्यों काल भैरव देव को बाबा की नगरी का कोतवाल कहा जाता है?
कालाष्टमी शुभ मुहूर्त (Kalashtami Shubh Muhurat)
माघ माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 21 जनवरी को दोपहर 12 बजकर 39 मिनट पर होगी। वहीं, 22 जनवरी को दोपहर 03 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगा। कृष्ण जन्माष्टमी पर निशा काल में भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है। अत: साधक रात 12 बजकर 06 मिनट से लेकर 12 बजकर 59 मिनट के मध्य भगवान कृष्ण की पूजा कर सकते हैं।
शिववास योग (Shivvas Yoga)
ज्योतिषियों की मानें तो माघ माह की कृष्ण जन्माष्टमी पर शिववास योग का संयोग बन रहा है। इस योग का संयोग दोपहर 12 बजकर 39 मिनट से हो रहा है। इस समय देवों के देव महादेव कैलाश पर मां पार्वती के साथ रहेंगे। सनातन शास्त्रों में निहित है कि भगवान शिव के मां गौरी के साथ रहने पर शिव-शक्ति की पूजा करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है।
द्विपुष्कर योग (Dwipushkar Yoga)
मासिक कृष्ण जन्माष्टमी पर द्विपुष्कर योग का संयोग बन रहा है। इस योग में आराध्य की पूजा करने से दोगुना फल मिलता है। द्विपुष्कर योग का संयोग सुबह 07 बजकर 14 मिनट से है। वहीं, समापन दोपहर 12 बजकर 39 मिनट पर होगा। द्विपुष्कर योग में भगवान कृष्ण की पूजा करने से दोगुना फल मिलेगा। साथ ही सभी बिगड़े काम बन जाएंगे।
पंचांग
- सूर्योदय - सुबह 07 बजकर 14 मिनट पर
- सूर्यास्त - शाम 05 बजकर 51 मिनट पर
- चंद्रोदय- देर रात 12 बजकर 41 मिनट पर
- चंद्रास्त- दिन 11 बजकर 40 मिनट पर
- ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 05 बजकर 27 मिनट से 06 बजकर 20 मिनट तक
- विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 19 मिनट से 03 बजकर 01 मिनट तक
- गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 49 मिनट से 06 बजकर 16 मिनट तक
- निशिता मुहूर्त - रात्रि 12 बजकर 06 मिनट से 12 बजकर 59 मिनट तक
यह भी पढ़ें: प्रदोष व्रत पर भगवान शिव का इन चीजों से करें अभिषेक, खूब बढ़ेगा बिजनेस
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।