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    Masik Karthigai 2024: भगवान मुरुगन की कृपा प्राप्ति के लिए खास है मासिक कार्तिगाई, जरूर करें ये काम

    प्रत्येक माह में जिस दिन कृतिका नक्षत्र प्रबल होता है उस दिन मासिक कार्तिगाई का पर्व मनाया जाता है। ऐसे में इस माह में मासिक कार्तिगाई का पर्व 25 अगस्त 2024 रविवार के दिन मनाया जाएगा। इस पर्व को दीपम कार्तिगाई के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन पर भगवान शिव और मां पार्वती के साथ-साथ भगवान मुरुगन (कार्तिकेय) की पूजा अर्चना का विधान है।

    By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Thu, 22 Aug 2024 01:33 PM (IST)
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    Masik Karthigai 2024: ऐसे करें भगवान मुरुगन की पूजा।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। मासिक कार्तिगाई या दीपम कार्तिगाई का पर्व मुख्य रूप से दक्षिण भारत में मनाया जाता है। कई साधक इस दिन उपवास भी करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन पर भगवान कार्तिकेय के निमित्त दीया जलाने से साधक को शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है। इस पर्व पर लोग शाम के समय अपने घरों और गलियों में दीप जलाते हैं, यह दीपक एक कतार में जलाएं जाते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि आप इस तिथि पर किस प्रकार भगवान मुरुगन की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

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    कैसे मनाया जाता है यह पर्व

    मासिक कार्तिगाई के दिन भक्त स्नानादि से निवित्त होने के बाद अपने घर को साफ-सफाई करते हैं। इसके बाद पूजा स्थल पर वेदी तैयार कर भगवान मुरुगन की प्रतिमा या चित्र स्थापित किया जाता है। अब देवता को फूल माला और अन्य सामग्री अर्पित की जाती है।

    फिर आटा, घी और गुड़ से दीपक बनाकर प्रज्वलित किया जाता है। इसके बाद शिव जी की पूजा में धूप-दीप, चंदन और हल्दी का लेप आदि भगवान को चढ़ाया जाता है। अंत में भोग लगाकर भगवान कार्तिकेय की आरती की जाती है और सभी में प्रसाद बांटा जाता है।

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    करें इन मंत्रों का जाप

    मासिक कार्तिगाई के दिन मुख्य द्वार पर दीपक जलाते समय इन मंत्रों का जाप करें -

    • दीपज्योति: परब्रह्म:
    • दीपज्योति: जनार्दन:
    • दीपोहरतिमे पापं संध्यादीपं नमोस्तुते
    • शुभं करोतु कल्याणमारोग्यं सुखं सम्पदां
    • शत्रुवृद्धि विनाशं च दीपज्योति: नमोस्तुति

    क्यों मनाया जाता है यह पर्व

    इस पर्व से जुड़ी हुई एक पौराणिक कथा मिलती है, जिसके अनुसार, एक बार भगवान शिव ने भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी के समक्ष अपनी श्रेष्ठता सिद्ध करने हेतु स्वयं को प्रकाश की अनन्त ज्योत में बदल लिया था। इसलिए इस दिन पर ज्योत जलाने का विधान है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।