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    Masik Kalashtami 2024: मासिक कालाष्टमी पर काल भैरव की इस विधि से करें पूजा, दुखों का होगा अंत

    Updated: Sat, 25 May 2024 12:03 PM (IST)

    कालाष्टमी के दिन विधिपूर्वक भगवान काल भैरव की पूजा की जाती है। मान्यता है कि पूजा-व्रत करने से साधक के जीवन में खुशियों का आगमन होता है और सुख-शांति मिलती है। साथ ही भगवान काल भैरव प्रसन्न होते हैं। इस बार मासिक कालाष्टमी का पर्व 30 मई को मनाया जाएगा। हिंदू धर्म में काल भैरव को तंत्र-मत्र का देवता माना जाता है।

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    Masik Kalashtami 2024: मासिक कालाष्टमी पर काल भैरव की इस विधि से करें पूजा, दुखों का होगा अंत

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Masik Kalashtami 2024 Puja Vidhi: हर महीने मासिक कालाष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव के रूद्र अवतार काल भैरव की उपासना की जाती है और जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति के लिए व्रत किया जाता है। इस बार मासिक कालाष्टमी का पर्व 30 मई को मनाया जाएगा। हिंदू धर्म में काल भैरव को तंत्र-मत्र का देवता माना जाता है। ऐसे में तंत्र विद्या सीखने वाले जातक इस त्योहार को उत्साह के साथ मनाते हैं। आइए जानते हैं कि कालाष्टमी पर भगवान भैरव काल की पूजा किस तरह करनी चाहिए?  

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    मासिक कालाष्टमी शुभ मुहूर्त (Masik Kalashtami 2024 Shubh Muhurat)

    पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का प्रारंभ 30 मई को सुबह 10 बजकर 13 मिनट पर होगा। वहीं, इस तिथि का समापन 31 मई को सुबह 08 बजकर 08 मिनट पर होगा। ऐसे में मासिक कालाष्टमी व्रत 30 मई को किया जाएगा।  

    मासिक कालाष्टमी पूजा विधि (Masik Kalashtami Puja Vidhi)

    • मासिक कालाष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठें और दिन की शुरुआत भगवान काल भैरव के ध्यान से करें।
    • अब स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें।
    • मंदिर की सफाई करें और गंगाजल का छिड़काव कर शुद्ध करें।
    • इसके पश्चात चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान काल भैरव की प्रतिमा विराजमान करें।
    • प्रभु को फूल माला अर्पित करें।  
    • दीपक जलाकर आरती करें और शिव चालीसा, मंत्रो का जाप करें।
    • भगवान काल भैरव को फल, खीर और मिठाई का भोग लगाएं।
    • अंत में श्रद्धा अनुसार गरीब लोगों में अन्न और धन का दान करें।

    पूजा के दौरान इन मंत्रों का करें जाप

    • ॐ ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं।
    • ॐ तीखदन्त महाकाय कल्पान्तदोहनम्, भैरवाय नमस्तुभ्यं अनुज्ञां दातुर्माहिसि
    • ॐ कालभैरवाय नम:।।
    • ॐ भयहरणं च भैरव:।।
    • ॐ भ्रं कालभैरवाय फट्।।
    • ॐ ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं।।
    • अतिक्रूर महाकाय कल्पान्त दहनोपम्, भैरव नमस्तुभ्यं अनुज्ञा दातुमर्हसि।।

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    अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।