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    Masik Durgashtami 2024: आज है मासिक दुर्गाष्टमी, ऐसे करें देवी दुर्गा को प्रसन्न

    By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi Dwivedi
    Updated: Sat, 17 Feb 2024 08:38 AM (IST)

    Masik Durgashtami 2024 मासिक दुर्गाष्टमी हर माह शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। भक्त इस दिन पर मां दुर्गा की पूजा करते हैं और उनके लिए व्रत रखते हैं। लोग इस पर्व को पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाते हैं। आज के दिन जो लोग मां दुर्गा की पूजा विधि विधान के साथ करते हैं उन्हें उनका पूर्ण आशीर्वाद प्राप्त होता है।

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    Masik Durgashtami 2024: मासिक दुर्गाष्टमी पर करें ये आरती

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Masik Durgashtami 2024: सनातन धर्म में मासिक दुर्गाष्टमी का खास महत्व है। यह दिन देवी दुर्गा की पूजा के लिए समर्पित है। दुर्गाष्टमी हर माह शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। साधक इस दिन पर मां दुर्गा की पूजा करते हैं और उनके लिए व्रत रखते हैं। लोग इस पर्व को पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाते हैं।

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    आज के दिन जो लोग मां दुर्गा की पूजा विधि विधान के साथ करते हैं उन्हें उनका पूर्ण आशीर्वाद प्राप्त होता है। ध्यान रहे पूजा का समापन देवी की आरती से करें, जो इस प्रकार है -

    ।।मां दुर्गा की आरती।।

    अम्बे तू है जगदम्बे काली,

    जय दुर्गे खप्पर वाली ।

    तेरे ही गुण गाये भारती,

    ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥

    तेरे भक्त जनो पर,

    भीर पडी है भारी माँ ।

    दानव दल पर टूट पडो,

    माँ करके सिंह सवारी ।

    सौ-सौ सिंहो से बलशाली,

    अष्ट भुजाओ वाली,

    दुष्टो को पलमे संहारती ।

    ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥

    अम्बे तू है जगदम्बे काली,

    जय दुर्गे खप्पर वाली ।

    तेरे ही गुण गाये भारती,

    ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥

    माँ बेटे का है इस जग मे,

    बडा ही निर्मल नाता ।

    पूत - कपूत सुने है पर न,

    माता सुनी कुमाता ॥

    सब पे करूणा दरसाने वाली,

    अमृत बरसाने वाली,

    दुखियो के दुखडे निवारती ।

    ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥

    अम्बे तू है जगदम्बे काली,

    जय दुर्गे खप्पर वाली ।

    तेरे ही गुण गाये भारती,

    ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥

    नही मांगते धन और दौलत,

    न चांदी न सोना माँ ।

    हम तो मांगे माँ तेरे मन मे,

    इक छोटा सा कोना ॥

    सबकी बिगडी बनाने वाली,

    लाज बचाने वाली,

    सतियो के सत को सवांरती ।

    ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥

    अम्बे तू है जगदम्बे काली,

    जय दुर्गे खप्पर वाली ।

    तेरे ही गुण गाये भारती,

    ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥

    चरण शरण मे खडे तुम्हारी,

    ले पूजा की थाली ।

    वरद हस्त सर पर रख दो,

    मॉ सकंट हरने वाली ।

    मॉ भर दो भक्ति रस प्याली,

    अष्ट भुजाओ वाली,

    भक्तो के कारज तू ही सारती ।

    ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥

    अम्बे तू है जगदम्बे काली,

    जय दुर्गे खप्पर वाली ।

    तेरे ही गुण गाये भारती,

    ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥

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    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी'।