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    Masik Durgashtami 2024: आज मनाई जा रही है मासिक दुर्गाष्टमी, जानें पूजा विधि और मंत्र

    मासिक दुर्गाष्टमी का दिन माता दुर्गा की पूजा के लिए समर्पित है। ऐसी मान्यता है कि जो लोग इस दिन मां दुर्गा के मंदिर जाकर उनका दर्शन करते हैं इसके साथ ही उनके समक्ष सच्चे भाव से परिवार की खुशहाली के लिए प्रार्थना करते हैं उनके ऊपर देवी भगवती की कृपा सदैव बनी रहती है। बता दें यह पर्व हर महीने शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है।

    By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Sun, 14 Jul 2024 09:31 AM (IST)
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    Masik Durgashtami 2024: मासिक दुर्गाष्टमी शुभ योग -

    धर्म डेस्क,नई दिल्ली। मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत देवी दुर्गा की पूजा के लिए समर्पित है। इस दिन देवी भक्त अत्यधिक भक्ति और शुद्धता का पालन करते हुए इस व्रत को करते हैं। साथ ही दुर्गा मां की पूजा करते हैं। मासिक दुर्गा अष्टमी हर माह शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है।

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    इस माह यह (Masik Durgashtami 2024) 14 जुलाई, 2024 यानी आज के दिन मनाई जा रही है, तो आइए इस तिथि से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों को जानते हैं -

    मासिक दुर्गाष्टमी शुभ योग

    हिंदू पंचांग के अनुसार, मासिक दुर्गाष्टमी यानी 14 जुलाई को विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 45 मिनट से 03 बजकर 40 मिनट तक रहेगा। वहीं, अमृत काल मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 28 मिनट से 02 बजकर 17 मिनट तक रहेगा। इसके साथ ही अभिजित मुहूर्त सुबह 11 बजकर 59 मिनट से दोपहर 12 बजकर 54 मिनट तक रहेगा।

    मासिक दुर्गाष्टमी पूजा विधि

    व्रती प्रात: जल्दी उठकर स्नान करें। पूजा अनुष्ठान शुरू करने से पहले अपने घर और मंदिर की सफाई करें। एक वेदी लें और उस पर देवी दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करें। मां का अभिषेक करें। उन्हें कुमकुम का तिलक लगाएं। देसी घी का दीपक जलाएं और मां दुर्गा को गुड़हल का फूल अर्पित करें। सफेद मिठाई, सूखे मेवे और पांच मौसमी फल का भोग लगाएं। देवी को प्रसन्न करने के लिए विभिन्न देवी मंत्रों का जाप करें।

    कष्टों से मुक्ति के लिए दुर्गा सप्तशती का भी पाठ करें। इसके अलावा दुर्गा मंदिर में जाकर शृंगार की सामग्री चढ़ाएं और उनका आशीर्वाद लें।

    दुर्गा पूजन मंत्र

    1. ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।

    दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।

    2. पिण्डज प्रवरा चण्डकोपास्त्रुता।

    प्रसीदम तनुते महिं चंद्रघण्टातिरुता।।

    पिंडज प्रवररुधा चन्दकपास्कर्युत । प्रसिदं तनुते महयम चंद्रघंतेति विश्रुत।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।