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    Masik Durgashtami 2023: मार्गशीर्ष महीने में कब है मासिक दुर्गाष्टमी? जानें, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि एवं महत्व

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Mon, 11 Dec 2023 07:39 PM (IST)

    Masik Durgashtami 2023 धार्मिक मत है कि मासिक दुर्गाष्टमी व्रत करने से साधक के जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं। साथ ही मां की कृपा से घर में सुख और समृद्धि आती है। अतः साधक मासिक दुर्गाष्टमी पर मां भगवती की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। आइए शुभ मुहूर्त एवं पूजा विधि जानते हैं।

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    Masik Durgashtami 2023: मार्गशीर्ष महीने में कब है मासिक दुर्गाष्टमी? जानें, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि एवं महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Masik Durga Ashtami 2023: हर महीने शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिक दुर्गाष्टमी मनाई जाती है। तदनुसार, मार्गशीर्ष महीने में 20 दिसंबर को मासिक दुर्गाष्टमी है। इस दिन जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत रखा जाता है। धार्मिक मत है कि मासिक दुर्गाष्टमी व्रत करने से साधक के जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं। साथ ही मां की कृपा से घर में सुख और समृद्धि आती है। अतः साधक मासिक दुर्गाष्टमी पर मां भगवती की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। आइए, शुभ मुहूर्त एवं पूजा विधि जानते हैं-

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    शुभ मुहूर्त

    ज्योतिषियों की मानें तो मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 19 दिसंबर को दोपहर 01 बजकर 07 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन यानी 20 दिसंबर को सुबह 11 बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगी।

    पूजा विधि

    मासिक दुर्गाष्टमी तिथि पर ब्रह्म बेला में उठें और मां भगवती को प्रणाम कर दिन की शुरुआत करें। घर की साफ-सफाई करें। गंगाजल छिड़ककर घर को शुद्ध करें। इसके पश्चात, गंगाजल युक्त पानी से स्नान-ध्यान कर आचमन का स्वयं को शुद्ध करें। इसी समय व्रत संकल्प लें। मां दुर्गा को लाल रंग अति प्रिय है। अतः लाल रंग के कपड़े पहनें। इसके पश्चात, पूजा गृह में चौकी पर लाल रंग का वस्त्र बिछाकर माता की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। अब पंचोपचार कर मां दुर्गा की विधि-विधान से पूजा करें। मां को लाल रंग का फूल और फल अवश्य अर्पित करें। पूजा के समय दुर्गा चालीसा का पाठ करें। अंत में आरती कर मां दुर्गा से सुख-समृद्धि की कामना करें। मनचाहा वर पाने हेतु दिन भर उपवास रखें। संध्याकाल में आरती कर फलाहार करें। अगले दिन नित्य दिनों की तरह पूजा कर व्रत खोलें।

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    डिसक्लेमर-'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। '