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    Margashirsha Purnima 2023: दशकों बाद मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर बन रहा है दुर्लभ 'शुक्ल' योग, प्राप्त होगा अक्षय फल

    Margashirsha Purnima 2023 ज्योतिषियों की मानें तो मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर शुक्ल योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण 27 दिसंबर को देर रात 03 बजकर 22 मिनट तक है। इसके पश्चात ब्रह्म योग का संयोग बन रहा है। ज्योतिष शुक्ल योग को शुभ मानते हैं। इस योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।

    By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Sun, 17 Dec 2023 01:15 PM (IST)
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    Margashirsha Purnima 2023: दशकों बाद मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर बन रहा है दुर्लभ 'शुक्ल' योग, प्राप्त होगा अक्षय फल

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Margashirsha Purnima 2023: हर महीने शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि के अगले दिन पूर्णिमा तिथि पड़ती है। इस प्रकार, मार्गशीर्ष महीने में 26 दिसम्बर को पूर्णिमा है। सनातन धर्म में पूर्णिमा तिथि पर गंगा-स्नान करने का विधान है। साथ ही पूजा, जप-तप और दान किया जाता है। पूर्णिमा तिथि पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि पूर्णिमा तिथि पर गंगा-स्नान कर भगवान विष्णु की पूजा-उपासना करने से साधक को मृत्युलोक में स्वर्ग समान सुखों प्राप्ति होती है। साथ ही भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। ज्योतिषियों की मानें तो मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर शुक्ल योग और भद्रावास योग का निर्माण हो रहा है। इन योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है। आइए, शुभ मुहूर्त एवं शुभ योग जानते हैं-

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    शुभ मुहूर्त

    पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि 26 दिसंबर को प्रातः काल 5 बजकर 46 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 27 दिसम्बर को 06 बजकर 02 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान्य है। अतः 26 दिसम्बर को मार्गशीर्ष पूर्णिमा है।

    शुक्ल योग

    ज्योतिषियों की मानें तो मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर शुक्ल योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण 27 दिसंबर को देर रात 03 बजकर 22 मिनट तक है। इसके पश्चात ब्रह्म योग का संयोग बन रहा है। ज्योतिष शुक्ल योग को शुभ मानते हैं। इस योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।

    भद्रावास योग

    मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर भद्रावास योग बन रहा है। इस योग का निर्माण संध्याकाल 05 बजकर 51 मिनट तक है। ज्योतिषियों की मानें तो इस दौरान भद्रा स्वर्ग में रहेंगी। धार्मिक मान्यता है कि भद्रा के स्वर्ग या पाताल में रहने के दौरान पृथ्वी पर उपस्थित सभी समूहों का कल्याण होता है।

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    डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।