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    Margashirsha Amavasya 2025: अगहन अमावस्या पर बन रहे हैं ये शुभ योग, इन कार्यों से मिलेगा पुण्य फल

    By digital deskEdited By: Suman Saini
    Updated: Wed, 19 Nov 2025 07:00 PM (IST)

    सनातन धर्म में मार्गशीर्ष मास की अमावस्या को विशेष पवित्र माना गया है। इस दिन बनने वाले शुभ योग जीवन और परिवार पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं। ऐसे में चलिए एस्ट्रोपत्री की दिव्या गौतम से जानते हैं कि अगहन यानी मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन पितृ तर्पण, स्नान, दान और पूजा के पुण्यकारी योग क्या रहने वाला है।

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    दिव्या गौतम, एस्ट्रोपत्री। अगहन अमावस्या न केवल पितृ तर्पण और श्राद्ध के लिए उत्तम अवसर प्रदान करती है, बल्कि भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की आराधना, मंत्र जप, दान-पुण्य और दीपदान के लिए भी अत्यंत फलदायी मानी जाती है। इस दिन किए गए कर्मों का पुण्य कई गुना बढ़ जाता है और मन, घर और वातावरण दोनों पवित्र बनते हैं। इस वर्ष मार्गशीर्ष अमावस्या 20 नवंबर को पड़ रही है, जो आध्यात्मिक उन्नति और पितृ कृपा प्राप्त करने का श्रेष्ठ समय है।

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    स्नान, पूजा और दीपदान के लिए शुभ समय

    प्रातःकाल (स्नान का शुभ समय): सुबह का समय विशेष पवित्र माना जाता है। इस समय प्रातः 5:30 बजे से 7:00 बजे तक स्नान करना अत्यंत फलदायी होता है। इस समय शरीर, मन और वातावरण शुद्ध रहते हैं। पवित्र जल में स्नान करने से न सिर्फ आत्मा को शांति मिलती है, बल्कि पितृ तर्पण और पूजा के लिए भी मन तैयार रहता है।

    दोपहर (तर्पण और पूजा का शुभ मुहूर्त): दोपहर 12:00 बजे से 1:30 बजे तक का समय तर्पण, पिंडदान और पूजा के लिए श्रेष्ठ माना गया है। इस समय सूर्य की किरणें और ऊर्जा तीव्र होती हैं, जिससे किए गए दान और पूजा का पुण्य कई गुना बढ़ जाता है।

    रात्रि (विशेष अनुष्ठान और दीपदान): शाम के समय अमावस्या की रात को दीपक जलाना और मंत्र जप करना अत्यंत शुभ होता है। यह समय विशेषकर घर और वातावरण में शुभ ऊर्जा भरने के लिए उपयुक्त माना गया है।

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    (Picture Credit: Freepik)

    पितृ तर्पण और श्राद्ध का शुभ योग

    अगहन अमावस्या पितरों को समर्पित विशेष तिथि मानी जाती है। इस दिन तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। परिवार पर उनका आशीर्वाद बना रहता है और पितृ दोष में कमी आती है। मान्यता है कि इस अमावस्या पर किया गया पितृ कार्य अत्यंत असरकारी और पुण्यदायी होता है।

    पवित्र स्नान और व्रत-उपवास का योग

    अमावस्या तिथि में पवित्र नदी या सरोवर में स्नान करना अत्यंत शुभ माना गया है। यदि बाहर जाना संभव न हो तो घर के स्नान जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करना भी समान रूप से पवित्र माना जाता है। स्नान के बाद व्रत-पूजा, मंत्रोच्चारण और दिनभर संयमित रहना मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है।

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    दान-पुण्य और दीपदान का फलदायी योग

    अगहन अमावस्या दान-पुण्य का सर्वश्रेष्ठ समय माना गया है। इस दिन अन्न, वस्त्र, तेल, दीपक या किसी भी प्रकार की सहायता करने से कई गुना पुण्य प्राप्त होता है। विशेष रूप से शाम के समय दीपदान करने से घर में शुभ ऊर्जा बढ़ती है और पितरों के मार्ग को प्रकाश मिलता है।

    विशेष पूजा, मंत्र जप और गीता-पाठ का योग

    इस पावन तिथि पर भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की आराधना अत्यंत फलदायी होती है। गीता-पाठ, विष्णु सहस्रनाम जप और विशेष मंत्रों का उच्चारण मन की शुद्धि और ग्रह दोष निवारण में सहायक होता है। भक्ति भाव से की गई पूजा सौभाग्य, समृद्धि और मानसिक स्थिरता प्रदान करती है।

    लेखक: दिव्या गौतम, Astropatri.com अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए hello@astropatri.com पर संपर्क करें।