Margashirsha Amavasya 2025: 20 या 19 नवंबर कब है मार्गशीर्ष अमावस्या? जानिए सही डेट और महत्व
हिंदू धर्म में मार्गशीर्ष माह (Margashirsha Amavasya 2025) पवित्र माना जाता है, जिसे भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं अपना स्वरूप बताया है। इस माह की अमावस्या तिथि, जिसे मार्गशीर्ष या अगहन अमावस्या कहते हैं, भगवान विष्णु, चंद्र देव और पितरों को समर्पित है। इस दिन को लेकर कई सारे उपाय बताए गए हैं, आइए इस तिथि से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं।

Margashirsha Amavasya 2025: मार्गशीर्ष अमावस्या का महत्व।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में मार्गशीर्ष महीने को बहुत पवित्र माना जाता है। इसके बारे में भगवान श्रीकृष्ण ने भगवद्गीता में भी कहा है, 'महीनों में मैं मार्गशीर्ष हूं'। इस महीने की अमावस्या तिथि को मार्गशीर्ष अमावस्या या अगहन अमावस्या कहा जाता है, जिसका महत्व कार्तिक अमावस्या से कम नहीं होता। यह तिथि (Margashirsha Amavasya 2025) भगवान विष्णु, चंद्र देव और पितरों को समर्पित है। वहीं, इसकी डेट को लेकर लोगों में थोड़ी कन्फ्यूजन है, तो आइए यहां इस कन्फ्यूजन को दूर करते हैं।
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मार्गशीर्ष अमावस्या 2025 शुभ मुहूर्त (Margashirsha Amavasya 2025 Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष अमावस्या की शुरुआत 19 नवंबर को सुबह 09 बजकर 43 मिनट पर होगी। वहीं, इस तिथि का समापन अगले दिन 20 नवंबर को दोपहर 12 बजकर 16 मिनट पर होगा। पंचांग गणना के आधार पर 20 नवंबर को मार्गशीर्ष अमावस्या मनाई जाएगी।
मार्गशीर्ष अमावस्या के उपाय (Margashirsha Amavasya 2025 Upay)
पितरों की शांति
अमावस्या तिथि विशेष रूप से पितरों को समर्पित होती है। इस दिन पितरों के नाम से तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध कर्म करने से उन्हें शांति मिलती है और व्यक्ति को पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की कृपा
मार्गशीर्ष महीने में भगवान श्रीकृष्ण का माह माना जाता है। इस अमावस्या पर भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की पूजा करने से अक्षय फलों की प्राप्ति होती है। ऐसे में व्रत रखने के साथ सत्यनारायण भगवान की कथा का पाठ करें। इससे जीवन के सभी संकट दूर हो जाते हैं।
दान और स्नान का महत्व
इस दिन पवित्र नदियों में गंगा, यमुना या अन्य किसी तीर्थ स्थल पर पवित्र स्नान करना बहुत शुभ माना जाता है। अगर यह मुश्किल हो, तो घर पर ही जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए। कहा जाता है कि स्नान के बाद दान-पुण्य करने से सभी पापों का नाश होता है। इस दिन अन्न, वस्त्र और तिल का दान करना बहुत शुभ माना जाता है।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।

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