Bhaumvati Amavasya 2023: क्या है भौमवती अमावस्या का महत्व, हनुमान जी की पूजा से मिलेगा समस्याओं से छुटकारा
Bhaumavati Amavasya 2023 हिंदू पंचांग के अनुसार साल में 12 अमावस्या और 12 पूर्णिमा होती हैं। सनातन धर्म में अमावस्या तिथि पर स्नान-दान करने का विशेष महत्व माना गया है। ऐसा करने से साधक को शुभ फलों की प्राप्ति होती है। भौमवती अमावस्या पर बजरंगबली जी की पूजा करने का भी विधान है। इसके द्वारा साधक जीवन की कई समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Margashirsha Amavasya 2023: हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। पंचांग के अनुसार प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की पंद्रहवीं तिथि को अमावस्या कहा जाता है। ऐसे में मार्गशीर्ष माह की अमावस्या 12 दिसंबर, मंगलवार के पड़ रही है। इस अमावस्या को भौमवती अमावस्या भी कहा जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं इसके पीछे का कारण।
मार्गशीर्ष अमावस्या शुभ मुहूर्त (Amavasya 2023 Shubh Muhurat)
मार्गशीर्ष की अमावस्या तिथि का प्रारम्भ 12 दिसंबर को सुबह 06 बजकर 24 मिनट से हो रहा है। वहीं, इसकी समाप्ति 13 दिसंबर को सुबह 05 बजकर 01 मिनट पर होगी। ऐसे में मार्गशीर्ष अमावस्या 12 दिसंबर, मंगलवार को मनाई जाएगी।
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इसलिए कहा जाता है भौमवती अमावस्या
इस साल मार्गशीर्ष अमावस्या मंगलवार के दिन पड़ रही है। वहीं धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मंगलवार का दिन भगवान हनुमान और मंगल देव को समर्पित माना गया है। मंगल देव और हनुमान जी दोनों को ही भौम के नाम से भी जाना जाता है। इसलिए मंगलवार के दिन पड़ रही मार्गशीर्ष अमावस्या को भौमवती अमावस्या भी कहा जाता है।
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मिलते हैं ये लाभ
माना जाता है कि भौमवती अमावस्या के दिन पर हनुमान जी की उपासना करने से साधक को जीवन में आ रही धन संबंधी समस्याओं से छुटकारा मिलता है। साथ ही कर्ज से मुक्ति भी मिलती है। कुंडली में मंगल को मजबूत करने के लिए भी इस अमावस्या को बहुत ही उत्तम माना गया है। इस दिन पर गुड़, घी और लाल मसूर की दाल आदि चीजों को जरूरतमंदों में दान करने से मंगल दोष का प्रभाव भी कम होता है।
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