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    Margashirsha Amavasya 2023: मार्गशीर्ष अमावस्या पर जरूर करें इस चालीसा का पाठ, प्राप्त होगा पितरों का आशीर्वाद

    धार्मिक मान्यता है कि अमावस्या तिथि पर पितरों को तर्पण करने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं। उनकी कृपा व्यक्ति पर बरसती है। इससे व्यक्ति के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। अतः साधक अमावस्या तिथि पर पितरों की भी पूजा करते हैं। अगर आप भी पितरों की कृपा के भागी बनना चाहते हैं तो मार्गशीर्ष अमावस्या पर पितरों की पूजा-अर्चना करें।

    By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Mon, 11 Dec 2023 07:15 PM (IST)
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    Margashirsha Amavasya 2023: मार्गशीर्ष अमावस्या पर जरूर करें इस चालीसा का पाठ, प्राप्त होगा पितरों का आशीर्वाद

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Margashirsha Amavasya 2023: 12 दिसंबर को मार्गशीर्ष अमावस्या है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा, जप-तप और दान-पुण्य किया जाता है। साथ ही पितरों का तर्पण और पिंडदान भी किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि अमावस्या तिथि पर पितरों का तर्पण करने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं। उनकी कृपा व्यक्ति पर बरसती है। इससे व्यक्ति के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। अतः साधक अमावस्या तिथि पर पितरों की भी पूजा करते हैं। अगर आप भी पितरों की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो मार्गशीर्ष अमावस्या पर पितरों की पूजा-अर्चना करें। साथ ही पूजा के समय पितृ चालीसा का पाठ करें।

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    पितृ चालीसा

    दोहा

    हे पितरेश्वर आपको दे दो आशीर्वाद,

    चरण शीश नवा दियो रख दो सिर पर हाथ।

    सबसे पहले गणपत पाछे घर का देव मनावा जी।

    हे पितरेश्वर दया राखियो,करियो मन की चाया जी।।

    चौपाई

    पितरेश्वर करो मार्ग उजागर,

    चरण रज की मुक्ति सागर ।

    परम उपकार पित्तरेश्वर कीन्हा,

    मनुष्य योणि में जन्म दीन्हा ।

    मातृ-पितृ देव मन जो भावे,

    सोई अमित जीवन फल पावे ।

    जै-जै-जै पितर जी साईं,

    पितृ ऋण बिन मुक्ति नाहिं ।

    चारों ओर प्रताप तुम्हारा,

    संकट में तेरा ही सहारा ।

    नारायण आधार सृष्टि का,

    पित्तरजी अंश उसी दृष्टि का ।

    प्रथम पूजन प्रभु आज्ञा सुनाते,

    भाग्य द्वार आप ही खुलवाते ।

    झुंझुनू में दरबार है साजे,

    सब देवों संग आप विराजे ।

    प्रसन्न होय मनवांछित फल दीन्हा,

    कुपित होय बुद्धि हर लीन्हा ।

    पित्तर महिमा सबसे न्यारी,

    जिसका गुणगावे नर नारी ।

    तीन मण्ड में आप बिराजे,

    बसु रुद्र आदित्य में साजे ।

    नाथ सकल संपदा तुम्हारी,

    मैं सेवक समेत सुत नारी ।

    छप्पन भोग नहीं हैं भाते,

    शुद्ध जल से ही तृप्त हो जाते ।

    तुम्हारे भजन परम हितकारी,

    छोटे बड़े सभी अधिकारी ।

    भानु उदय संग आप पुजावै,

    पांच अँजुलि जल रिझावे ।

    ध्वज पताका मण्ड पे है साजे,

    अखण्ड ज्योति में आप विराजे ।

    सदियों पुरानी ज्योति तुम्हारी,

    धन्य हुई जन्म भूमि हमारी ।

    शहीद हमारे यहाँ पुजाते,

    मातृ भक्ति संदेश सुनाते ।

    जगत पित्तरो सिद्धान्त हमारा,

    धर्म जाति का नहीं है नारा ।

    हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई

    सब पूजे पित्तर भाई ।

    हिन्दू वंश वृक्ष है हमारा,

    जान से ज्यादा हमको प्यारा ।

    गंगा ये मरुप्रदेश की,

    पितृ तर्पण अनिवार्य परिवेश की ।

    बन्धु छोड़ ना इनके चरणाँ,

    इन्हीं की कृपा से मिले प्रभु शरणा ।

    चौदस को जागरण करवाते,

    अमावस को हम धोक लगाते ।

    जात जडूला सभी मनाते,

    नान्दीमुख श्राद्ध सभी करवाते ।

    धन्य जन्म भूमि का वो फूल है,

    जिसे पितृ मण्डल की मिली धूल है ।

    श्री पित्तर जी भक्त हितकारी,

    सुन लीजे प्रभु अरज हमारी ।

    निशिदिन ध्यान धरे जो कोई,

    ता सम भक्त और नहीं कोई ।

    तुम अनाथ के नाथ सहाई,

    दीनन के हो तुम सदा सहाई ।

    चारिक वेद प्रभु के साखी,

    तुम भक्तन की लज्जा राखी ।

    नाम तुम्हारो लेत जो कोई,

    ता सम धन्य और नहीं कोई ।

    जो तुम्हारे नित पाँव पलोटत,

    नवों सिद्धि चरणा में लोटत ।

    सिद्धि तुम्हारी सब मंगलकारी,

    जो तुम पे जावे बलिहारी ।

    जो तुम्हारे चरणा चित्त लावे,

    ताकी मुक्ति अवसी हो जावे ।

    सत्य भजन तुम्हारो जो गावे,

    सो निश्चय चारों फल पावे ।

    तुमहिं देव कुलदेव हमारे,

    तुम्हीं गुरुदेव प्राण से प्यारे ।

    सत्य आस मन में जो होई,

    मनवांछित फल पावें सोई ।

    तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई,

    शेष सहस्त्र मुख सके न गाई ।

    मैं अतिदीन मलीन दुखारी,

    करहुं कौन विधि विनय तुम्हारी ।

    अब पितर जी दया दीन पर कीजै,

    अपनी भक्ति शक्ति कछु दीजै ।

    दोहा

    पित्तरों को स्थान दो, तीरथ और स्वयं ग्राम ।

    श्रद्धा सुमन चढ़ें वहां, पूरण हो सब काम ।

    झुंझनू धाम विराजे हैं, पित्तर हमारे महान ।

    दर्शन से जीवन सफल हो, पूजे सकल जहान।।

    जीवन सफल जो चाहिए, चले झुंझनू धाम ।

    पितृ चरण की धूल ले, हो जीवन सफल महान।।

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    डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।