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    Vinayak Chaturthi 2025 Yoga: विनायक चतुर्थी पर भद्रावास समेत बन रहे हैं कई अद्भुत संयोग, मिलेगा दोगुना फल

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Sun, 02 Mar 2025 05:09 PM (IST)

    फाल्गुन का महीना देवों के देव महादेव को प्रिय है। इस महीने में प्रतिदिन भगवान शिव की पूजा की जाती है। वहीं फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि ( ...और पढ़ें

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    Vinayak Chaturthi 2025: भगवान गणेश की पूजा विधि

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित है। इस शुभ अवसर पर विनायक चतुर्थी मनाई जाती है। विनायक चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है। साथ ही चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। भगवान गणेश की पूजा करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है।

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    ज्योतिषियों की मानें तो फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर कई मंगलकारी योग बन रहे हैं। इन योग में भगवान गणेश की पूजा करने से मनचाही मुराद पूरी होगी। साथ ही जीवन में सुखों का आगमन होगा। बड़ी संख्या में साधक चतुर्थी तिथि पर श्रद्धा भाव से भगवान गणेश की पूजा करते हैं। आइए, शुभ मुहूर्त एवं योग जानते हैं-

    विनायक चतुर्थी शुभ मुहूर्त (Vinayak Chaturthi Shubh Muhurat)

    वैदिक पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 02 मार्च को रात 09 बजकर 01 मिनट पर होगी और 03 मार्च को शाम 06 बजकर 02 मिनट पर समाप्त होगी। विनायक चतुर्थी पर चन्द्रास्त का समय रात 10 बजकर 11 मिनट पर है।

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    भद्रावास योग

    ज्योतिषियों की मानें तो फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर भद्रावास योग का संयोग बन रहा है। इस योग का संयोग सुबह 07 बजकर 30 मिनट से लेकर शाम 06 बजकर 02 मिनट तक है। इस योग में भगवान गणेश की पूजा करने से सभी प्रकार के शुभ कामों में सिद्धि मिलेगी। साथ ही भगवान गणेश की कृपा साधक पर बरसेगी। इस समय में भद्रा स्वर्ग में रहेंगी।

    शुक्ल योग

    विनायक चतुर्थी पर शुक्ल योग का भी निर्माण हो रहा है। इस योग का संयोग सुबह 08 बजकर 57 मिनट तक है। इसके बाद ब्रह्म योग का संयोग बन रहा है। ब्रह्म योग में भगवान गणेश की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी।  

    नक्षत्र एवं करण

    फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर अश्विनी नक्षत्र का संयोग बन रहा है। वहीं, वणिज करण का भी योग है। इन योग में भगवान गणेश की पूजा करने से साधक को सभी कामों में सफलता मिलेगी।

    पंचांग

    सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 44 मिनट पर

    सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 22 मिनट पर

    चन्द्रोदय- सुबह 08 बजकर 40 मिनट पर

    चंद्रास्त- शाम 10 बजकर 11 मिनट पर

    ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 05 बजकर 05 मिनट से 05 बजकर 55 मिनट तक

    विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 30 मिनट से 03 बजकर 16 मिनट तक

    गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 20 मिनट से 06 बजकर 45 मिनट तक

    निशिता मुहूर्त - रात्रि 12 बजकर 08 मिनट से 12 बजकर 57 मिनट तक

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।