Mangala Gauri Vrat 2024: इस दिन रखा जाएगा सावन का पहला मंगला गौरी व्रत, इन उपायों से करें मां गौरी को प्रसन्न
जल्द ही सावन माह की शुरुआत होने जा रही है। ऐसे में आप सावन माह में पड़ने वाला मंगला गौरी का व्रत करके माता पार्वती के साथ-साथ भगवान शिव की कृपा के भी पात्र बन सकते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि मंगला गौरी व्रत पर किन कार्यों द्वारा मांगलिक दोष आदि से मुक्ति पाई जा सकती है और जल्द ही विवाह के योग बनने लगते हैं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। जिस प्रकार सावन का सोमवार भगवान शिव की आराधना के लिए उत्तम माना जाता है, उसी प्रकार सावन माह में पड़ने वाले मंगलवार पर माता पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। यह व्रत मुख्य रूप से विवाहित स्त्रियों और अविवाहित कन्याओं द्वारा किया जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं कि इस साल सावन का पहला मंगला गौरी व्रत कब किया जाएगा।
कब है पहला मंगला गौरी व्रत
इस बार सावन या श्रावण माह की शुरुआत 22 जुलाई, सोमवार के दिन से हो रही है। ऐसे में सावन का पहला मंगला गौरी व्रत 23 जुलाई 2024, मंगलवार के दिन रखा जाएगा। इस व्रत पर मुख्य रूप से माता पार्वती की उपासना की जाती है।
मंगला गौरी व्रत का महत्व (Mangla Gauri Vrat Importance)
मंगला गौरी व्रत मुख्य रूप से सुहागिन महिलाओं द्वारा अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए किया जाता है। मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को करने से पति को दीर्घायु की प्राप्ति होती है। साथ ही घर-परिवार में भी सुख-शांति का माहौल बना रहता है। इसके साथ ही यह व्रत कुंवारी कन्याओं द्वारा अच्छे वर की प्राप्ति के लिए भी किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि मंगला गौरी व्रत करने से विवाह में आ रही बाधाएं भी दूर हो सकती हैं।
शीघ्र बनेंगे विवाह के योग
यदि किसी जातक के विवाह में देरी हो रही है तो, इसके लिए मंगला गौरी व्रत पर मां गौरी को 16 श्रृंगार की सामग्री अर्पित करें। इससे मां गौरी प्रसन्न होती हैं। इसके साथ ही व्रत कि दिन मिट्टी का घड़ा बहते नदी में प्रवाहित करने से भी विवाह में आ रही बाधा दूर हो सकती है।
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मजबूत होगा मंगल
मंगला गौरी व्रत के दिन गरीबों और जरूरतमंदों में लाल मसूर की दाल और लाल वस्त्र आदि दान करने चाहिए। इससे कुंडली में मंगल ग्रह की स्थिति मजबूत होती है और साधक को मंगल दोष के बुरे प्रभावों से भी मुक्ति मिलती है। इसके साथ ही मां गौरी की पूजा के दौरान 'ॐ गौरी शंकराय नमः' मंत्र का जाप कम-से-कम 21 बार करें। इससे कुंडली में मंगल दोष दूर हो सकता है।
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