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    Mangala Gauri Vrat पर करें मां पार्वती के मंत्रों का जाप, वैवाहिक जीवन होगा खुशहाल

    Updated: Tue, 06 Aug 2024 10:29 AM (IST)

    मुख्य रूप से सुहागिन महिलाओं द्वारा मंगला गौरी व्रत किया जाता है। मान्यताओं के अनुसार इस व्रत को करने से वैवाहिक जीवन में खुशहाली आती है। वहीं यह व्रत कुंवारी कन्याओं द्वारा करने का भी विधान है। इससे उन्हें सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है। ऐसे में आप मंगला गौरी व्रत पर माता गौरी के मंत्रों का जाप कर उनकी विशेष कृपा के पात्र बन सकते हैं।

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    Mangala Gauri Vrat 2024 मंगला गौरी व्रत पर करें मां पार्वती के मंत्रों का जाप

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सावन में आने वाले मंगलवार पर मां पार्वती को समर्पित मंगला गौरी व्रत किया जाता है। इस दिन विशेष रूप से शिव-पार्वती की आराधना की जाती है। साथ ही इस दिन महिलाएं और कुंवारी कन्याएं भी व्रत करती हैं। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत करो करने से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। ऐसे में मंगलवार 06 अगस्त, 2024 को सावन का तीसरा मंगला गौरी व्रत किया जाएगा।

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    मंगला गौरी व्रत का महत्व (Mangla Gauri Vrat Importance)

    धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मंगला गौरी व्रत करने से माता गौरी के साथ-साथ भगवान शिव का भी आशीर्वाद मिलता है, जिससे परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। साथ ही इस व्रत को करने से सुहागिन महिलाओं को माता पार्वती का विशेष आशीर्वाद मिलता है, जिससे वैवाहिक जीवन खुशहाल बना रहता है। इतना ही नहीं इस व्रत से पति की लंबी उम्र और संतान सुख की प्राप्ति भी हो सकती है। वहीं अविवाहितों द्वारा यह व्रत करने से विवाह में आ रही बाधा से मुक्ति मिलती है।

    मां पार्वती के मंत्र (Maa Parvati Mantra)

    • सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सवार्थ साधिके। शरण्येत्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।
    • कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्। सदा बसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानीसहितं नमामि।।
    • ह्रीं मंगले गौरि विवाहबाधां नाशय स्वाहा।
    • ॐ गौरीशंकराय नमः।
    • ॐ नमः मनोभिलाषितं वरं देहि वरं ह्रीं ॐ गोरा पार्वती देव्यै नमः

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    ह्रीं गौर्य नम :

    है गौरि शंकरार्धांगि यथा त्वं शंकर प्रिया।

    तथा मां कुरू कल्याणि कान्तकान्तां सुदुर्लभाम्।।

    ध्यान मंत्र

    नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नम: ।

    नमः प्रकृत्यै भद्रायै नियताः प्रणता:स्म ताम्।।

    श्रीगणेशाम्बिकाभ्यां नम:, ध्यानं समर्पयामि।

    श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः।

    महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।

    या देवी सर्वभू‍तेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता।

    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।