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    Mangal Grah: कैसा है मंगल ग्रह? जानें उसका स्वरूप एवं स्वभाव, मंगल दोष, निवारण उपाय एवं मंत्र

    Mangal Grah मंगल के मेष राशि में गोचर पर हम आज आपको मंगल ग्रह के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें बता रहे हैं।

    By Kartikey TiwariEdited By: Updated: Fri, 14 Aug 2020 02:38 PM (IST)
    Mangal Grah: कैसा है मंगल ग्रह? जानें उसका स्वरूप एवं स्वभाव, मंगल दोष, निवारण उपाय एवं मंत्र

    Mangal Grah: नौ ग्रहों में मंगल रविवार 16 अगस्त को बृहस्पति की मीन राशि से निकलकर मेष राशि में गोचर करेंगे। इसके बाद 10 सितंबर को मेष राशि में ही व्रकी होंगे। उसके बाद 04 अक्टूबर से ​दोबारा मीन राशि में प्रवेश करेंगे। मंगह ग्रह की राशि मेष है और वे स्वराशि में होने के कारण उच्च प्रभाव वाले होंगे, इससे जातकों को शुभ और अच्छे फल प्राप्त होंगे। मंगल के मेष राशि में गोचर पर हम आज आपको मंगल ग्रह के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें बता रहे हैं।

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    मंगल ग्रह और उनका स्वरूप

    ज्योतिष के अनुसार, मंगल भारद्वाज गोत्र के क्षत्रिय माने जाते हैं। इनको अवन्ति का स्वामी कहा जाता है। इनका आकार आग के समान रक्त जैसे लाल है और ये मेष पर सवारी करते हैं। ये हमेशा लाल वस्त्र धारण करते हैं और गले में लाल रंग की माला पहनते हैं। ये अपने चार हाथों में गदा, शक्ति, वर और अभय धारण करते हैं। इनका प्रत्येक अंग कांतिवान होता है। ये मेष के रथ पर सुमेरु की प्रदक्षिणा करते हुए अपने अधिदेवता स्कन्द और प्रत्यधिदेवता पृथ्वी के साथ सूर्य के सामने जा रहे हैं।

    मंगल ग्रह: अंगों पर नियंत्रण

    मंगल मेष राशि के अधिपति ग्रह हैं। मनुष्य के शरीर के मस्तिष्कीय क्रिया कलापों से इनका संबंध होता है। मंगल ग्रह का इच्छा, काम और वासना से भी संबंध होता है। वहीं, मंगल ग्रह शरीर के अंदर यकृत, रक्त कणिकाओं और पाचन तंत्र को नियंत्रित करते हैं।

    मंगल का मंत्र

    ओम हूं श्रीं मंगलाय नम:।

    मंगल का वैदिक मंत्र

    ओम अग्निर्मूर्धा दिव: ककुत्पति: पृथिव्या अयम्।

    अपांरेतां सि जिन्वति।।

    मंगल का कुंडली में महत्व

    जिस भी व्यक्ति की कुंडली में मंगल ग्रह उच्च स्थान पर होता है, वे लोग निडर, तेज और पराक्रमी होते हैं। कोई भी निर्णय लेने में संकोच नहीं करते हैं। कठिन परिस्थितियों का मुकाबला वे डटकर करते हैं। मंगल ग्रह को आवेश और ऊर्जा का कारक माना जाता है। जिनकी कुंडली में नीच का मंगल होता है, उनका जीवन सुखमय नहीं होता है। उनके जीवन में दुर्घटना की आशंका बनती है।

    मंगल दोष

    ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, कुंडली में जब मंगल ग्रह पहले, चौथे, सातवें और बारहवें भाव में हो तो मांगलिक दोष का निर्माण होता है। ऐसे लोगों की कुंडली मांगलिक होती है। उनके विवाह में देरी होती है।

    मंगल दोष निवारण के उपाय

    मंगल दोष के निवारण के लिए मंगलवार का व्रत किया जाता है। साथ ही उस जातक को हनुमान जी की पूजा करने की सलाह दी जाती है। व्रत करने साथ लाल रंग के वस्त्र भी दान करना चाहिए। ज्योतिषाचार्य ऐसे लोगों को मूंगा धारण करने को कहते हैं।

    डिस्क्लेमर-

    ''इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है. विभिन्स माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं. हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें. इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी. ''