ऐसे बना राष्ट्रीय पंचांग
21 मार्च 2016 यानी शक संवत् 1938 की शुरुआत हो चुकी है। शक संवत भारत का प्राचीन संवत है जो 78 ई. से आरम्भ होता है। शक संवत भारत का राष्ट्रीय कैलेंडर है। इसे उज्जयिनी के क्षत्रप चेष्टन ने प्रचलित किया। शक राज्यों को चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ने समाप्त कर दिया
21 मार्च 2016 यानी शक संवत् 1938 की शुरुआत हो चुकी है। शक संवत भारत का प्राचीन संवत है जो 78 ई. से आरम्भ होता है। शक संवत भारत का राष्ट्रीय कैलेंडर है। इसे उज्जयिनी के क्षत्रप चेष्टन ने प्रचलित किया। शक राज्यों को चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ने समाप्त कर दिया पर उनका स्मारक शक संवत् अभी तक भारतवर्ष में चल रहा है।
ऐसे हुई शुरुआत
दरअसल शक प्राचीन मध्य एशिया में रहने वाली स्किथी लोगों की जनजातियों का समूह था। इनकी सही नस्ल के बारे में इतिहास में विस्तार नहीं है, क्योंकि प्राचीन भारतीय, ईरानी, यूनानी और चीनी स्रोत इनका अलग-अलग विवरण देते हैं।
कई इतिहासकारों का मानना है कि, 'सभी शक स्किथी थे, लेकिन सभी स्किथी शक नहीं थे', यानी 'शक' स्किथी समुदाय के अन्दर के कुछ हिस्सों का जाति नाम था। स्किथी विश्व के भाग होने के नाते शक एक प्राचीन ईरानी भाषा-परिवार की बोली बोलते थे और इनका अन्य स्किथी-सरमती लोगों से सम्बन्ध था। शकों का भारत के इतिहास पर गहरा असर रहा है उन्होंने यहां एक बड़ा साम्राज्य बनाया। आधुनिक भारतीय राष्ट्रीय कैलंडर 'शक संवत' कहलाता है।
ऐसे बना राष्ट्रीय पंचांग
1957 में भारत सरकार ने शक संवत् को देश के राष्ट्रीय पंचांग के रूप में मान्यता प्रदान की थी। इसीलिए राजपत्र (गजट) , आकाशवाणी और सरकारी कैलेंडरों में ग्रेगेरियन कैलेंडर के साथ इसका भी प्रयोग किया जाता है। शक संवत को शालिवाहन संवत भी कहा जाता है और इसका आधार सौर गणना है।
इसमें महीनों का नामकरण विक्रमी संवत के अनुरूप ही किया गया है, लेकिन उनके दिनों का पुनर्निर्धारण किया गया है। इसके प्रथम माह (चैत्र) में 30 दिन हैं, जो अंग्रेजी लीप ईयर में 31 दिन हो जाते हैं।
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