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    Mahesh Navami 2024: महेश नवमी पर ऐसे करें भगवान शंकर की पूजा, घर स्वयं चलकर आएंगी मां लक्ष्मी

    Updated: Sat, 15 Jun 2024 08:32 AM (IST)

    महेश नवमी का पर्व माहेश्वरी समाज (Maheshwari community) के लोगों के बीच ज्यादा प्रचलित है। ऐसी मान्यता है कि जो लोग इस दिन देवों के देव महादेव की पूजा सच्चे दिल से करते हैं उन्हें सुख-शांति की प्राप्ति होती है। इस बार यह व्रत 15 जून यानी आज रखा जा रहा है। कहा जाता है कि इस शुभ अवसर पर शिवाष्टक स्तोत्र का पाठ भी बहुत लाभकारी होता है।

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    Mahesh Navami 2024: शिवाष्टक स्तोत्र का पाठ

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। महेश नवमी का पर्व कई मायनों में खास है। यह हर साल धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस तिथि पर भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा की जाती है। यह त्योहार माहेश्वरी समाज (Maheshwari community) के लोगों के बीच ज्यादा प्रचलित है। ऐसी मान्यता है कि जो लोग इस दिन देवों के देव महादेव की पूजा सच्चे दिल से करते हैं उन्हें सुख-शांति की प्राप्ति होती है।

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    इस बार यह व्रत 15 जून, 2024 दिन शनिवार यानी आज रखा जा रहा है। ऐसा कहा जाता है कि इस शुभ अवसर पर 'शिवाष्टक स्तोत्र' का पाठ भी बहुत लाभकारी होता है, तो चलिए यहां पढ़ते हैं -

    ।।शिवाष्टक स्तोत्र।।

    जय शिवशंकर, जय गंगाधर, करुणा-कर करतार हरे,

    जय कैलाशी, जय अविनाशी, सुखराशि, सुख-सार हरे

    जय शशि-शेखर, जय डमरू-धर जय-जय प्रेमागार हरे,

    जय त्रिपुरारी, जय मदहारी, अमित अनन्त अपार हरे,

    निर्गुण जय जय, सगुण अनामय, निराकार साकार हरे।

    पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥

    जय रामेश्वर, जय नागेश्वर वैद्यनाथ, केदार हरे,

    मल्लिकार्जुन, सोमनाथ, जय, महाकाल ओंकार हरे,

    त्र्यम्बकेश्वर, जय घुश्मेश्वर भीमेश्वर जगतार हरे,

    काशी-पति, श्री विश्वनाथ जय मंगलमय अघहार हरे,

    नील-कण्ठ जय, भूतनाथ जय, मृत्युंजय अविकार हरे।

    पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥

    जय महेश जय जय भवेश, जय आदिदेव महादेव विभो,

    किस मुख से हे गुरातीत प्रभु! तव अपार गुण वर्णन हो,

    जय भवकार, तारक, हारक पातक-दारक शिव शम्भो,

    दीन दुःख हर सर्व सुखाकर, प्रेम सुधाधर दया करो,

    पार लगा दो भव सागर से, बनकर कर्णाधार हरे।

    पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥

    जय मन भावन, जय अति पावन, शोक नशावन,

    विपद विदारन, अधम उबारन, सत्य सनातन शिव शम्भो,

    सहज वचन हर जलज नयनवर धवल-वरन-तन शिव शम्भो,

    मदन-कदन-कर पाप हरन-हर, चरन-मनन, धन शिव शम्भो,

    विवसन, विश्वरूप, प्रलयंकर, जग के मूलाधार हरे।

    पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥

    भोलानाथ कृपालु दयामय, औढरदानी शिव योगी,

    सरल हृदय, अतिकरुणा सागर, अकथ-कहानी शिव योगी,

    निमिष में देते हैं, नवनिधि मन मानी शिव योगी,

    भक्तों पर सर्वस्व लुटाकर, बने मसानी शिव योगी,

    स्वयम्‌ अकिंचन, जनमनरंजन पर शिव परम उदार हरे।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।