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    Mahashivratri 2024: महाशिवरात्रि के दिन जरूर करें श्री उमा महेश्वर स्तोत्र का पाठ, प्रसन्न होंगे भगवान शिव

    Updated: Thu, 07 Mar 2024 01:20 PM (IST)

    महाशिवरात्रि हर साल फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। इस साल यह 8 मार्च 2024 को मनाई जाएगी। यह दिन भगवान शंकर की पूजा के लिए समर्पित है। इस दिन साधक कई प्रकार से महादेव को प्रसन्न करने की सोचते हैं। अगर आप भी शिव जी की कृपा पाना चाहते हैं तो यहां दिए हुए स्तोत्र का पाठ जरूर करें।

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    Mahashivratri 2024: श्री उमा महेश्वर स्तोत्र का पाठ

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Mahashivratri 2024: सनातन धर्म में महाशिवरात्रि के पर्व को बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन भोलेनाथ की पूजा का विधान है। महाशिवरात्रि हर साल फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। इस साल यह 8 मार्च, 2024 को मनाई जाएगी।

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    इस दिन भक्त कई प्रकार से देवों के देव महादेव को प्रसन्न करने की सोचते हैं। अगर आप भी शिव जी की कृपा पाना चाहते हैं, तो इस दिव्य स्तोत्र का पाठ करें, जो इस प्रकार है -

    ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥

    नमः शिवाभ्यां नवयौवनाभ्यां

    परस्पराश्लिष्टवपुर्धराभ्याम् ।

    नगेन्द्रकन्यावृषकेतनाभ्यां

    नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥ 1 ॥

    नमः शिवाभ्यां सरसोत्सवाभ्यां

    नमस्कृताभीष्टवरप्रदाभ्याम् ।

    नारायणेनार्चितपादुकाभ्यां

    नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥ 2 ॥

    नमः शिवाभ्यां वृषवाहनाभ्यां

    विरिञ्चिविष्ण्विन्द्रसुपूजिताभ्याम् ।

    विभूतिपाटीरविलेपनाभ्यां

    नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥ 3 ॥

    नमः शिवाभ्यां जगदीश्वराभ्यां

    जगत्पतिभ्यां जयविग्रहाभ्याम् ।

    जम्भारिमुख्यैरभिवन्दिताभ्यां

    नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥ 4 ॥

    नमः शिवाभ्यां परमौषधाभ्यां

    पञ्चाक्षरीपञ्जररञ्जिताभ्याम् ।

    प्रपञ्चसृष्टिस्थितिसंहृताभ्यां

    नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥ 5 ॥

    नमः शिवाभ्यामतिसुन्दराभ्यां

    अत्यन्तमासक्तहृदम्बुजाभ्याम् ।

    अशेषलोकैकहितङ्कराभ्यां

    नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥ 6 ॥

    नमः शिवाभ्यां कलिनाशनाभ्यां

    कङ्कालकल्याणवपुर्धराभ्याम् ।

    कैलासशैलस्थितदेवताभ्यां

    नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥ 7 ॥

    नमः शिवाभ्यामशुभापहाभ्यां

    अशेषलोकैकविशेषिताभ्याम् ।

    अकुण्ठिताभ्यां स्मृतिसम्भृताभ्यां

    नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥ 8 ॥

    नमः शिवाभ्यां रथवाहनाभ्यां

    रवीन्दुवैश्वानरलोचनाभ्याम् ।

    राकाशशाङ्काभमुखाम्बुजाभ्यां

    नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥ 9 ॥

    नमः शिवाभ्यां जटिलन्धराभ्यां

    जरामृतिभ्यां च विवर्जिताभ्याम् ।

    जनार्दनाब्जोद्भवपूजिताभ्यां

    नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥ 10 ॥

    नमः शिवाभ्यां विषमेक्षणाभ्यां

    बिल्वच्छदामल्लिकदामभृद्भ्याम् ।

    शोभावतीशान्तवतीश्वराभ्यां

    नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥ 11 ॥

    नमः शिवाभ्यां पशुपालकाभ्यां

    जगत्रयीरक्षणबद्धहृद्भ्याम् ।

    समस्तदेवासुरपूजिताभ्यां

    नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥ 12 ॥

    स्तोत्रं त्रिसन्ध्यं शिवपार्वतीभ्यां

    भक्त्या पठेद्द्वादशकं नरो यः ।

    स सर्वसौभाग्यफलानि

    भुङ्क्ते शतायुरान्ते शिवलोकमेति ॥ 13 ॥

    ॥ इति श्री शङ्कराचार्य कृत उमामहेश्वर स्तोत्रम ॥

    आद्य गुरु शंकराचार्य रचित उमा महेश्वर स्तोत्र

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