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    Mahashivratri 2021 Importance: भगवान शिव ने स्वयं बताई है महाशिवरात्रि व्रत की महिमा, जानें क्या है इस​का महत्व

    By Kartikey TiwariEdited By:
    Updated: Thu, 11 Mar 2021 07:15 AM (IST)

    Mahashivratri 2021 Importance महाशिवरात्रि का महापर्व आज 11 मार्च को है। इस दिन देवों के देव महादेव की विधि विधान से पूजा होती है। जागरण अध्यात्म में आज हम आपको महाशिवरात्रि व्रत के महत्व और उसकी महिमा के बारे में बताने जा रहे हैं।

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    Mahashivratri 2021 Importance: भगवान शिव ने स्वयं बताई है महाशिवरात्रि व्रत की महिमा, जानें क्या है इस​का महत्व

    Mahashivratri 2021 Importance: महाशिवरात्रि का महापर्व आज 11 मार्च को है। इस दिन देवों के देव महादेव की विधि विधान से पूजा होती है। जागरण अध्यात्म में आज हम आपको महाशिवरात्रि व्रत के महत्व और उसकी महिमा के बारे में बताने जा रहे हैं। शिवपुराण के अनुसार, भगवान शिव ने स्वयं ब्रह्मा, विष्णु और माता पार्वती को महाशिवरात्रि व्रत की महिमा के बारे में बताया था। आप भी जानिए इस व्रत का महत्व।

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    शिव पुराण के अनुसार, ब्रह्मा जी, भगवान विष्णु और माता पार्वती ने भगवान शिव से पूछा कि आप किस व्रत से संतुष्ट होकर उत्तम सुख प्रदान करते हैं। जिस व्रत के करने से भक्तों को भोग और मोक्ष की प्राप्ति हो सके, उसके बारे में बताएं।

    इस पर भगवान शिव ने कहा कि वैसे तो उनके कई व्रत हैं, जो भोग और मोक्ष प्रदान करने वाले हैं। दनको दशशैवव्रत कहा जाता है। द्विजों को यत्नपूर्वक सदा इन व्रतों का पालन करना चाहिए, लेकिन मोक्ष की कामना करने वालों को चार व्रतों का नियम से पालन करना चाहिए। ये चार व्रत हैं: भगवान शिव की पूजा, रुद्र मंत्रों का जाप, शिव मंदिर में उपवास और काशी में देह त्याग। ये मोक्ष के चार सनातन मार्ग हैं। इन चारों में भी शिवरात्रि व्रत का विशेष महत्व है, अत: इसे अवश्य करना चाहिए।

    प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी शिवरात्रि कहलाती है। फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष चतुर्दशी महाशिवरात्रि कहलाती है। जिस दिन अर्धरात्रि में चतुर्दशी तिथि हो, उसी दिन ही शिवरात्रि होती है। उसी दिन व्रत और पूजा करनी चाहिए।

    शिवरात्रि के दिन सुबह दैनिक क्रियाओं से निवृत होकर व्यक्ति को ललाट पर भस्म का त्रिपुंड लगाना चाहिए। गले में रुद्राक्ष की माला पहननी चाहिए। शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग की विधि विधान से पूजा करनी चाहिए। व्रत के नियमों का पालन करते हुए चार प्रहर में पूजा करें। रात्रि में जागरण करें। अगले दिन फिर शिव पूजन करें। उसके बाद ब्रह्मणों को भोजन कराकर स्वयं भी भोजन करें।

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