Mahamrityunjaya Mantra: जानिए क्या है भगवान शिव के महामृत्युंजय मंत्र की महत्व और इससे जुड़े नियम?
Mahamrityunjaya Mantra सावन का पवित्र महीना चल रहा है। इस पवित्र मास में भगवान शिव की उपासना का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन में प्रत्येक दिन भगवान शिव की उपासना करने से और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से साधक को विशेष लाभ मिलता है। आइए जानते हैं महामृत्युंजय मंत्र का महत्व और इससे जुड़े कुछ महत्वपूर्ण नियम।

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क । Mahamrityunjaya Mantra in Hindi: हिंदू धर्म में श्रावण मास का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, श्रावण के महीने में भगवान शिव और उनके समस्त परिवार की उपासना करने से साधकों को बल, बुद्धि, विद्या और धन-धान्य की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में श्रावण मास के महत्व को विस्तार से बताया गया है। शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि श्रावण में प्रत्येक दिन भगवान शिव के महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से साधक को विशेष लाभ मिलता है। मान्यता है कि महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से साधकों को रोग, दोष, भय इत्यादि से मुक्ति प्राप्त हो जाती है। आइए जानते हैं, महामृत्युंजय मंत्र का महत्व और इससे जुड़े कुछ जरूरी नियम।
महामृत्युंजय मंत्र
ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्,
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ।
लघु महामृत्युंजय मंत्र
ॐ जूं स माम् पालय पालय स: जूं ॐ।
हिन्दू धर्म में क्या है कर्म महत्व और किस तरह पड़ता है इसका जीवन पर प्रभाव?
महामृत्युंजय मंत्र का महत्व
शास्त्रों में विदित है कि महामृत्युंजय भगवान के अनेक स्वरूपों में से एक है। भगवान शिव के महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से साधक को दीर्घयु की प्राप्ति होती है और काई प्रकार के रोग, दोष एवं भय दूर हो जाते हैं। ज्योतिष शास्त्र में भी इस महामंत्र की महीना को बताया गया है। महामृत्युंजय मंत्र के जाप से मांगलिक दोष, नाड़ी दोष, कालसर्प दोष, भूत-प्रेत दोष इत्यादि समस्याएं खत्म हो जाती है। इसके साथ गृह क्लेश, धन हानि, महा रोग, अकाल मृत्यु व समस्त पापों से मुक्ति प्राप्त करने के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया जाता है।
महामृत्युंजय मंत्र जाप की विधि
शास्त्र में बताया गया है भगवान भोलेनाथ के महामृत्युंजय मंत्र का जो व्यक्ति सवा लाख बार जाप करता है, उन्हें जीवन में समस्त सुखों की प्राप्ति होती है। इसके साथ भोलेनाथ के लघु महामृत्युंजय मंत्र का 11 लाख बार जाप किया जाना आवश्यक है। प्रत्येक सोमवार के दिन रुद्राक्ष की एक माला महामृत्युंजय जाप जरूर करना चाहिए। इस दौरान समय का विशेष ध्यान रखना चाहिए। कहा गया है कि दोपहर 12 बजे के बाद महामृत्युंजय मंत्र का जाप नहीं करना चाहिए। मंत्र का जाप पूरा होने के बाद हवन करना बहुत ही लाभदायक साबित होता है।
हिन्दू धर्म में क्यों की जाती है देवी-देवताओं और देवस्थल की परिक्रमा?
डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।