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Mahalaya 2022: दूर्गा पूजा से पहले महालया अमावस्या, जानिए बंगाल में क्यों मानी जाती है खास

Mahalaya 2022 सर्वपितृ अमावस्या को महालया अमावस्या के नाम से भी जानते हैं। महालया बंगाली समुदाय के लिए काफी खास होता है। क्योंकि इस दिन मां दुर्गा को पुत्री के रूप में बुलाया जाता है। जानिए महालया का महत्व।

By Shivani SinghEdited By: Published: Fri, 23 Sep 2022 10:24 AM (IST)Updated: Sun, 25 Sep 2022 08:13 AM (IST)
Mahalaya 2022:  दूर्गा पूजा से पहले महालया अमावस्या, जानिए बंगाल में क्यों मानी जाती है खास
Mahalaya 2022: दूर्गा पूजा से पहले महालया अमावस्या, जानिए बंगाल में क्यों मानी जाती है खास

नई दिल्ली, Mahalaya 2022: आश्विन मास की अमावस्या तिथि को सर्वपितृ अमावस्य के अलावा महालया अमावस्या भी कहा जाता है। जहां सुबह के समय पितरों का श्राद्ध कर्म करने के साथ उन्हें विधिवत तरीके से विदा किया जाता है। वहीं शाम को माँ दुर्गा को धरती पर आमंत्रित किया जाता हैं। महालया अमावस्या बंगाल में काफी खास होता है। क्योंकि इस दिन से दुर्गा पूजा का आरंभ हो जाता या। जानिए क्या है महालया और क्यों है बंगाल में खास।

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मां दुर्गा के मूर्ति को देते हैं अंतिम रूप

बंगाल में महालया का हर कोई बेसब्री से इंतजार करता है। क्योंकि इस दिन ही शाम को देवी दुर्गा को बुलाया जाता है और प्रतिमा में रंग चढ़ाया जाता है। इसके साथ ही उनकी आंखें बनाई जाती है।

आमतौर पर मूर्तिकार मां दुर्गा की प्रतिमा बनाने का काम पहले से ही शुरू हो जाता है। लेकिन अंतिम रूप महालया के दिन ही दिया जाता है। बता दें कि भाद्रपद पूर्णिमा के साथ पितृपक्ष शुरू होते हैं। इसी तरह 15 दिनों के देवी पक्ष भी शुरू होते हैं जिसमें से नौ दिन नवरात्र के शामिल होते हैं। इसके साथ ही नवरात्र के समापन के साथ देवी पक्ष समाप्त हो जाते हैं।

महालया का महत्व

महालया का पर्व बंगाली समुदाय के लिए काफी खास माना जाता है। इस दिन सुबह के समय पितरों को पृथ्वी लोक से विदा किया जाता है। वहीं शाम के समय मां दुर्गा का धरती में आगमन के लिए आह्वान किया जाता था। इस दिन शाम के समय मां दुर्गा अपने योगनियां और अपने पुत्र गणेश और कार्तिकेय के साथ धरती में पधारती हैं।

इस रूप में बुलाते हैं मां दुर्गा को

बंगाल में महालया के दिन मां दुर्गा को पुत्री के रूप में आह्वान किया जाता है। क्योंकि मां दुर्गा पार्वती के रूप में हिमालय की पुत्री है। ऐसे में पृथ्वी माता दुर्गा का मायका है। इसलिए जगत माता पूरे नौ दिनों के लिए अपने मायके में आती हैं।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


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