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    Mahalaxmi Vrat Katha: महालक्ष्मी व्रत के समापन के दौरान जरूर पढ़ें यह व्रत कथा

    By Shilpa SrivastavaEdited By:
    Updated: Thu, 10 Sep 2020 11:35 AM (IST)

    Mahalaxmi Vrat Katha महालक्ष्मी व्रत राधा अष्टमी से शुरू होता है और 16वें दिन इस व्रत का समापन किया जाता है। आज महालक्ष्मी व्रत का आखिरी दिन है। ...और पढ़ें

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    Mahalaxmi Vrat Katha: महालक्ष्मी व्रत के समापन के दौरान जरूर पढ़ें यह व्रत कथा

    Mahalaxmi Vrat Katha: महालक्ष्मी व्रत राधा अष्टमी से शुरू होता है और 16वें दिन इस व्रत का समापन किया जाता है। आज महालक्ष्मी व्रत का आखिरी दिन है। आज के दिन विधिपूर्वक और श्रद्धा से महालक्ष्मी व्रत पूर्ण किया जाता है। इससे देवी लक्ष्मी अपने भक्तों से प्रसन्न होकर उनपर अपनी कृपा दृष्टि हमेशा बनाई रखती हैं। इस दौरान महालक्ष्मी व्रत कथा का पाठ जरूर करना चाहिए। आइए पढ़ते हैं महालक्ष्मी व्रत कथा:

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    एक ब्राह्मण था जो अत्यंत निर्धन था। वह विष्णु जी का परम भक्त था। वो विष्णु जी की सच्चे मन से आराधना करता था। एक दिन उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर विष्णु जी ने ब्राह्मण को दर्शन दिए। उन्होंने ब्राह्मण से कहा कि हर रोज सुबह एक स्त्री मंदिर के सामने उपले थापती है। कल तुम उन्हें अपने घर ले आना। वे और कोई नहीं बल्कि देवी लक्ष्मी है। अगर वो तुम्हारे घर आएंगी तो तुम्हारा घर धन-धान्य से परिपूर्ण हो जाएगा।

    जैसा भगवान विष्णु के कहा था ब्राह्मण ने ठीक वैसा ही किया। वो अगले दिन मंदिर गया और वहां जाकर उस स्त्री यानी देवी लक्ष्मी का इंतजार करने लगा। कुछ ही देर बाद मंदिर में वो स्त्री भी आ गई। ब्राह्मण ने आग्रह किया कि वो उनके घर चलें। इस पर देवी लक्ष्मी ने ब्राह्मण से कहा कि वो इस तरह किसी के घर नहीं जाती हैं। अगर वो अपने पत्नी के साथ भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से लेकर आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि तक उनका व्रत करोगे तो ही वो प्रसन्न होकर उनके घर आएंगी।

    ब्राह्मण ने देवी के कहे अनुसार, 16 दिन का व्रत किया। फिर कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर चंद्र को अर्घ्य दिया। जैसा देवी लक्ष्मी ने कहा था ठीक उसी तरह ब्राह्मण ने उत्तर दिशा की तरफ देखकर उन्हें आवाज लगाई। तब देवी लक्ष्मी प्रकट हुई और उन्होंने अपना वचन पूरा किया। इसी दिन से महालक्ष्मी व्रत किया जाता है।